पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 6.pdf/२३७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२२२ पत्र : आर्कोबाल्ड और कॉस्टेबल व कं० को

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २०, १९०६

श्री आर्कीबाल्ड और कॉन्स्टेबल व कं०

१६, जेम्स स्ट्रीट
हेमार्केट, एस० डब्ल्यू०

प्रिय महोदय,

आपके इसी २३ तारीखके पत्रके सम्बन्ध में मुझे दुःख है कि जो फार्म भरा जाना था उसे मैंने कहीं इधर-उधर रख दिया है। यदि श्री अमीर अली कृत 'इस्लाम'[१] नामक पुस्तककी दो प्रतियाँ २८ तारीखके पहले मिल सकें तो ऊपरके पतेपर, अन्यथा बॉक्स ५५२२, जोहानिस-बर्ग के पतेपर, भेजने की कृपा करें।

आपका विश्वस्त,

२४ टिकट साथ संलग्न हैं।

संलग्न :

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४६१०) से।

२२३. पत्रः सर मंचरजी मे० भावनगरीको

[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २०, १९०६

प्रिय सर मंचरजी,

यदि कुछ अन्यथा सूचना नहीं मिली तो श्री अली, श्री रिच और मैं कल ११-३० पर आपकी सेवामें उपस्थित होंगे।

आपका सच्चा

सर मंचरजी मे० भावनगरी,
१९६, क्रॉमवेल रोड, एस० डब्ल्यू०

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४६११) से।

  1. इस्लामकी भावना (द स्पिरिट ऑफ इस्लाम)। इंडियन ओपिनियन के गुजराती पाठकों के लाभार्थ गांधीजी इस पुस्तकको संक्षिप्त करना चाहते थे। देखिए "सम्भावित नये प्रकाशन," पृष्ठ २८६।