लिए यहाँसे रवाना होना असम्भव प्रतीत हो रहा है; मैंने इस बातकी कभी बहुत उम्मीद भी नहीं की थी। मैं सम्भवतः २४ नवम्बरको यहाँ से रवाना होऊँगा।
मैं श्री पोलकके नाम अपने पत्रकी[१] एक प्रति आपको भेजता हूँ।
मैं कुमारी पायवेलसे, यदि उन्होंने मेरे कल भेजे गये पत्रके विपरीत न लिखा तो, कल मिलने जाऊँगा।
मुझे आशा है कि श्रीमती वेस्टका समय ठीक गुजर रहा है और वे आरामसे हैं तथा श्रीमती गांधीने उनकी अच्छी खातिरकी है।
आपका हृदयसे,
'इंडियन ओपिनियन'
फीनिक्स
टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५३७) से।
१५२. पत्र: जे० डब्ल्यू० मैकिंटायरको
[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर १०, १९०६
आपने मुझे श्रीमती फ्रोथका पता भेजनेका वादा किया था; परन्तु भेजा नहीं। सौभाग्यसे वह मुझे अब मिल गया है। श्री मैकडॉनल्डसे सम्बन्धित कागज-पत्र मुझे प्राप्त हो गये हैं। इसके बारेमें मैंने लन्दनके वादेक्षकोंको (सॉलिसीटरोंको) लिख दिया है।
और अधिक लिखनेकी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि श्री पोलकको मैंने जो पत्र[२] लिखा है उसे आप देखेंगे ही।
आपका हृदयसे,
बॉक्स ६५२२
टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४५३८) से।