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शिष्टमण्डलकी टीपें—१

मैं जानकारी देनेके हेतुसे कह रहा हूँ। आयोग नियुक्त करनेकी माँगको मैं गैरवाजिब नहीं मानता। यह बात विचार करने योग्य है और इसपर मैं आवश्यक विचार करके उत्तर दूँगा।

श्री गांधीने एक मिनट बोलनेकी अनुमति लेकर कहा कि लॉर्ड एलगिनको जो खबरें मिली हैं वे ठीक नहीं हैं। यदि आप और समय दें, तो दोनों प्रतिनिधि इसे साबित कर सकते हैं। वैसा हो या न हो, इससे स्पष्ट यह जाहिर होता है कि आयोग नियुक्त करनेकी पूरी आवश्यकता है और आयोगसे ही ऐसी उलझन भरी बातोंका फैसला हो सकता है।

आशा है, इस शिष्टमण्डलकी बातचीतके बाद आयोगकी नियुक्ति होगी।

लोकसभा के सदस्य

यदि लोकसभाके सदस्य इकट्ठे होकर सहानुभूतिका प्रस्ताव पास करें, तो ठीक होगा और उससे मदद मिलेगी, यह समझकर हमने कुछ सदस्योंसे मुलाकात करके चर्चा की। श्री पोलकके पिताके एक मित्र श्री सूटी[१] लोकसभाके सदस्य हैं। उनकी मददसे आखिर बुधवारकी रातको बैठक हुई। पाँच-सात सदस्योंने एकत्रित होकर एक परिपत्र निकाला, और लोगोंको आमन्त्रित किया। श्री अली और श्री गांधीने सदस्योंके सामने भाषण दिये। उसके बाद सदस्योंने प्रस्ताव किया कि भारतीय शिष्टमण्डलकी माँगें लॉर्ड एलगिनको मान्य करनी चाहिए। लोकसभा के सदस्योंकी इतनी बड़ी सभा तो इधर पहली बार ही हुई है, ऐसा बहुत-से लोग मानते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि हमारे प्रश्नकी चर्चा खूब हो रही है।

श्री अमीर अलीसे व्यक्तिगत मुलाकात

श्री अमीर अलीसे दोनों सदस्योंकी व्यक्तिगत मुलाकात हुई। उन्होंने खूब सहानुभूति दिखाई और वचन दिया कि सम्भव हुआ तो यहाँके नामी अखबारोंमें लिखूँगा।

लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनसे मुलाकात

लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनने आधे घंटे तक सारी बातें धीरजसे सुनीं। लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टन एक समय भारत-मन्त्री रहे हैं, यह सबको याद होगा। उन्होंने सारी वस्तुस्थितिकी जाँच करना और उनसे जितना भी बन पड़ेगा, उतना करना मंजूर किया है।

'साउथ आफ्रिका' और दूसरे अखबारोंमें इस बातकी बारबार चर्चा होती रहती है 'साउथ आफ्रिका' में श्री टैथमके विधेयकके सम्बन्धमें श्री गांधीके साथ की गई भेंटका[२] जो विवरण छपा है, वह भी सही-सही दिया गया है।

लॉर्ड एलगिनको दी गई अर्जीकी प्रतिलिपि संसदके सभी सदस्योंको एक नम्रतापूर्ण पत्रके साथ भेजी गई है।

श्री मॉर्ले के साथ मुलाकात लेने के लिए आज ही पत्र[३] रवाना किया गया है और सम्भव है, अगले सप्ताह मुलाकात होगी। शिष्टमण्डलको अभी इतना काम करना बाकी है कि २४ नवम्बरको यहाँसे निकलना बड़ा ही मुश्किल है।

  1. मूल गुजरातीमें गलती जान पड़ती है। लोकसभा-भवनकी बैठकका आयोजन करनेमें गांधीजीको श्री स्कॉटने मदद की थी। देखिए "पत्र: हेनरी एस० एल० पोलकको", पृष्ठ १४५।
  2. देखिए "भेंट: 'साउथ आफ्रिका' को", पृष्ठ ६४-६६।
  3. देखिए "पत्र: श्री मॉर्लेके निजी सचिवको", पृष्ठ १४२-४३।