कानूनमें परिवर्तित हो गया तो इसका प्रभाव यह होगा कि नेटालके उपनिवेशसे भारतीय व्यापारियोंका पूरी तौरसे नामोनिशान मिट जायेगा।
यदि लॉर्ड महोदय नेटालके मामलोंके बारेमें मुझे थोड़ी देरके लिए भेंट देनेकी कृपा करेंगे तो मैं बहुत कृतज्ञ होऊँगा। और मुझे विश्वास है कि यदि लॉर्ड महोदय समय दे सकें तो नेटालका भारतीय समाज इसकी बड़ी केंद्र करेगा।
आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो० क० गांधी
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स: सी० ओ० १७९, खण्ड २३९, इंडिविजुअल्स और टाइप को हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४६१) से।
८०. पत्र: टी० एच० थॉर्नटनको
[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २, १९०६
श्री अराथूनने मुझसे कहा है कि सर लेपेल ग्रिफिनके निमन्त्रणपर आपने कृपापूर्वक उस शिष्टमण्डलमें शामिल होना स्वीकार कर लिया है, जो ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंके सम्बन्धमें लॉर्ड एलगिनसे भेंट करेगा। इसलिए मैं सविनय निवेदन करता हूँ कि लॉर्ड एलगिन उपनिवेश कार्यालय में इसी ८ तारीख, बृहस्पतिवारको ३ बजे शिष्टमण्डलसे मिलेंगे। समयके बारेमें मैं दूसरे सदस्योंको सूचित कर चुका हूँ और आपको यह सुझाव देने की धृष्टता करता हूँ कि यह अच्छा होगा, यदि सब सदस्य उपनिवेश कार्यालय में ढाई बजे पहुँच जायें। इस तरह शिष्टमण्डल के सदस्योंकी एक छोटी-सी बैठक हो जायेगी। मैं एक परिपत्र[१] भी साथ बन्द कर रहा हूँ। इसे मैंने कुछ कागजोंके साथ सदस्योंको भेजा है।
आपका विश्वस्त,
[२]
मारफत पूर्व भारत संघ
३, वेस्टमिन्स्टर चैम्बर्स
टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४६२) से।