इस डाकसे मैं आपको एक छोटी-सी टिप्पणी ही भेज रहा हूँ। अधिक भेजनेकी आज शक्ति नहीं है। इस समय १०-४५ बजे हैं। मैं आपके पास कुछ कतरनें भी भेज रहा हूँ।
मैं अपने तारके[१] उत्तरकी प्रतीक्षामें हूँ और आशा करता हूँ कि उन लोगोंको राजी करनेमें आपको कठिनाईका सामना नहीं करना पड़ा। श्री अली पूर्णतया मेरे साथ हैं। मैंने केवल ३०० पौंड़ माँगे हैं। और किफायतपर जरा ध्यान रखने से उस रकमसे काम चला लेना सम्भव होगा। परन्तु यदि अधिक रकम स्वीकृत हो सके तो काम भी अधिक हो सकता है। सर मंचरजी बड़े उत्साहमें हैं।
कृपया कुमारी नायफ्लीससे कुमारी टेलरका पता मालूम करें और उसे श्री बिसिक्सको भेज दें। उनका पता है, ८३ कमर्शियल रोड, ब्लैकफायर्स, ई० सी०।
टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४४९) से।
६८. पत्र: एच० कैलनबैकको
[होटल सेसिल
लन्दन]
नवम्बर २, १९०६
आपके पत्रके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद स्वरूप केवल दो शब्द: ज्यादा कह हो नहीं सकता। जोहानिसबर्ग से यहाँ मुझपर कामका बोझ कहीं ज्यादा है। एक रातके सिवा मैं १ बजेसे पहले कभी नहीं सोया हूँ। कभी-कभी तो मुझे साढ़े तीन बजे सुबह तक बैठना पड़ा है। और मैं नहीं जानता कि आज मैं कब विश्राम पाऊँगा। इस समय सवा दस बजे हैं। मैं हर हफ्ते आपके पत्रोंकी प्रतीक्षा करूंगा। यदि यहाँसे फिर न लिखूँ तो आप कारण समझ ही जायेंगे।
आपका शुभचिन्तक,
टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ४४५०) से।
- ↑ यह उपलब्ध नहीं है किन्तु 'पत्र: हेनरी एस० एल० पोलकको", (पृष्ठ २०) से स्पष्ट है कि यह तार प्रस्तावित दक्षिण आफ्रिकी भारतीय समितिके सम्बन्धमें था।
- ↑ जोहानिसबर्गके एक धनी वास्तुकार और टॉलस्टॉयके प्रशंसक। वे गांधीजीके एक घनिष्ठ मित्र और सहयोगी बन गये थे। देखिए दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय २३; और आत्मकथा, भाग ४, अध्याय ३०।