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पत्रः हाजी हबीबको

उच्चायुक्त दावे में हस्तक्षेपसे इनकार करते हैं। आपको आने की जोरदार सलाह देता हूँ।

तयब सेठको अनुमतिपत्रकी जरूरत नहीं पड़ेगी, इसलिए उसकी कोई फिक्र नहीं करनी है।

मो० क० गांधीके सलाम

सेठ तैयब हाजी खान मुहम्मद ऐंड कं०
बॉक्स ३५७
प्रिटोरिया

गांधीजीके स्वाक्षरों में गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ९३४

६०. पत्र: हाजी हबीबको

[जोहानिसबर्ग]

अगस्त १४, १९०५

सेक्रेटरी साहब,

आपका पत्र आनेसे मुझे अपने भाषण' याद आ रहे है । मैने आपसे कहा था कि 'स्टार'की तारीखें भेजूंगा। चारों भाषण १०, १८ और २९ मार्चके 'स्टार' में प्रकाशित हुए हैं। इन सारे भाषणोंको चाहे जहाँ भेजकर इनका खुलासा करानेमें मेरी पूरी रजामन्दी है। मैंने इन भाषणोंको फिर अंग्रेजीमें पढ़ा है। और मुझे कहना चाहिए कि इनमें किसी भी धर्मके विरुद्ध मैंने एक भी कड़वा शब्द नहीं कहा है। इनमें हरएककी तारीफ की है और प्रत्येककी खूबियां बताई है। मुझे स्वप्नमें भी किसीको दुःख पहुँचानेका खयाल नहीं आता। फिर भी ये कितने ही भाइयोंको बुरे लगे हैं, इसका मुझे दुःख है। और किसी भी प्रकारसे यदि मैं उनका मन शान्त कर सकू तो ऐसा करना चाहता हूँ। यदि और भी स्पष्टीकरण आवश्यक हो तो लिखिए।

मो० क० गांधीके सलाम

बॉक्स ५७
प्रिटोरिया

गांधोजीके स्वाक्षरों में गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ९५०



१. मूल पत्रमें तारके इस मसविदेका मजमून अंग्रेजीमें है।

२. गांधीजीके हिन्दू धर्मपर दिये गये चार व्याख्यान, देखिए, खण्ड ४, पृष्ठ ३९५, ४०२, ४३५ ।