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५८. इंग्लैंड और जापानके बीच सन्धि

इंग्लैंड और जापान के बीच जो सन्धि हुई थी उसपर पुनर्विचार करनेका समय निकट आ रहा है। इसलिए इस सम्बन्धमें ब्रिटिश राजनयिक क्षेत्रोंमें चर्चा चल रही है। दोनों राज्योंके बीच ३० जनवरी १९०२ को पाँच वर्षके लिए सन्धि हुई थी। लेकिन उसमें यह भी शर्त थी कि चौथे वर्षके अन्त तक किसी भी पक्षको तरफसे उस सन्धिको तोड़नेकी पूर्व सूचना न मिले तो वह पाँच वर्षके उपरान्त भी कायम रहे, और उसके बाद जो पक्ष उसे तोड़ना चाहे वह एक वर्ष पहले इत्तला भेजे । यदि इस सन्धिको समाप्तिके समय कोई पक्ष युद्धमें उलझा हो तो यह सन्धि तबतक कायम रहे जबतक युद्ध शान्त न हो जाये।

इसके अतिरिक्त यदि दोनों में से एक पक्षको किसी शक्तिके विरुद्ध लड़ाई छेड़नी पड़े तो दूसरे पक्षको किसी तीसरी शक्तिको उसमें शामिल होने से रोकनेका प्रयत्न करना चाहिए। और यदि कोई तीसरी शक्ति लड़ाई में उतरे हुए पक्षके मुकाबले विरोधी पक्षको सहायता दे तो दूसरा पक्ष लड़ाई में व्यस्त पक्षको सहायता तुरन्त करे ।

ऊपरकी शोंके अनुसार यदि आगामी वर्षकी ३० जनवरी तक सन्धि भंग करनेकी चेतावनी किसी पक्षको नहीं मिलती, तो यह सन्धि पाँच वर्ष उपरान्त भी जारी रहेगी। इसके विपरीत यदि इस बीच सन्धि-भंग करनेकी चेतावनी दे दी गई और सन्धिकी अवधिका अन्त होनेपर भी रूसके साथ युद्ध चलता रहा तो भी युद्धकी समाप्ति तक सन्धि कायम रहेगी।

इंग्लैंड और जापान दोनों पक्षोंके लिए सन्धि बड़ी लाभदायक सिद्ध हुई है। वास्तवमें तो इससे सारी दुनियाको लाभ हुआ है, ऐसा मानना चाहिए। क्योंकि, यदि रूसकी सहायताके लिए कोई तीसरी शक्ति मैदानमें आती तो इंग्लैंडको जापानकी मददके लिए लड़ाई में आना पड़ता और ऐसा होनेपर एक बड़े पैमानेपर संसारकी शान्तिमें गहरी बाधा उपस्थित होती, ऐसा दिखाई पड़ रहा है। इस सबसे ऐसी आशा करनेके पर्याप्त कारण मौजूद है कि यह सन्धि आगे भी कायम हेगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-८-१९०५

५९. पत्र : तैयब हाजी खान मुहम्मद ऐंड कम्पनीको

[जोहानिसबर्ग]

अगस्त १२,१९०५

सेठ श्री तैयब हाजी खान मुहम्मद ऐंड कं०,

आपका पत्र मिला । अब उच्चायुक्तको पत्र नहीं लिखा जा सकता। विलायत पहुँचना ही बाकी रहा है। अथवा यहाँ फिर गड़बड़ी हो तो भी सम्भव है। वहाँके महापौरसे मिलिए और उनसे पूछिए, क्या कहते हैं। मैं तुरन्त विलायतको लिखनेकी सलाह नहीं दे सकता। क्योंकि अगर तैयब सेठ आते हैं तो सच्ची लड़ाई यहीं लड़नी है। ज्यों-ज्यों दिन निकलते जायेंगे, कठिनाई बढ़ती जायेगी। नीचे लिखे मुताबिक तार करें तो अच्छा होगा :