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५३. पत्र: अब्दुल कादिरको

[जोहानिसबर्ग]

अगस्त १०, १९०५

प्रिय श्री अब्दुल कादिर,

मुझे अभीतक आपको लिखनेका समय नहीं मिला था। कारोबारकी बातपर आनेके पहले, श्रीमती अब्दुल कादिरने जो कचौड़ियाँ भेजीं, उनके लिए उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ। मैंने जो हँसी-हँसीमें मांगा था, सचमुच ही मिल गया। आप जानते हैं कि श्री उमर और श्री दादा उस्मान मेरे साथ थे। हम सबने उन्हीं कचौड़ियोंकी ब्यालू की। इसके सिवा एक दुर्घटना भी हो गई थी। एक इंजन पटरीसे उतर गया था और रातको सारे यात्रियोंको गाड़ियां बदलनी पड़ी थीं। आधी रातके बाद गाड़ी ३ घंटे पिछड़ गई। इसलिए जिन स्टेशनोंपर भोजन मिल सकता था उनपर भोजन नहीं दिया गया और उस परिस्थितिमें केवल मैंने ही नहीं, मेरे दूसरे रेलके साथियोंने भी - यद्यपि वे यूरोपीय थे -- वे कचौड़ियाँ बहुत पसन्द कीं। वे बहुत स्वादिष्ट थीं। इस तरह जोहानिसबर्ग पहुँचने के पहले ही टोकरी आधी हो गई । श्रीमती अब्दुल कादिरको उनकी मेहरबानीके लिए मैं फिर धन्यवाद देता हूँ।

बैंक द्वारा लिखाया गया जमानतनामा श्री अब्दुल गनीने मुझे दिखा दिया है। मेरे विचारसे उसकी कोई जरूरत नहीं है। मेरी रायमें बैंकको जमानतपर साझेदारीके विघटनकी लिखा-पढ़ीका बिलकुल ही प्रभाव नहीं पड़ता। बोंडमें परिवर्तन करनेका कारण मेरी समझमें नहीं आता। लेकिन चूंकि पेढ़ी नये सिरेसे नाम चढ़ाई जानी है, इसलिए इसमें कोई नुकसान नहीं है। मैं आशा करता हूँ कि आप मामलेको जल्दी आगे बढ़ायेंगे। श्री मुहम्मद इब्राहीमका नाम वापस लेने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यदि वे राजी न हो तो भी अदालतका हुक्म बिलकुल काफी होगा। मुझे मालम हुआ है कि सभी हिस्सेदारोंकी इच्छा साझेदारीके विघटनको 'गजट में विज्ञापित करने की है। मैं भी ऐसा ही सोचता हूँ। इसलिए मैं विज्ञापनका मसविदा भेज रहा हूँ। यदि आप मंजूर करें, तो पाँचों हिस्सेदार उसपर दस्तखत कर सकते हैं और वह वहाँके और यहाँके दोनों 'गजटों में तथा दोनों जगहोंके एक-एक दैनिक पत्रमें विज्ञापित किया जा सकता है। आपके लन्दनके एजेंटोंको भेजनेके लिए भी पत्रका मसविदा' साथमें है।

वहाँ जो वैठकें हुई उनमें आपने अत्यन्त चतुराई और शान्तिका परिचय दिया। उसे देखकर मैं हदसे ज्यादा प्रसन्न हुआ। यह मेरी हार्दिक आशा और प्रार्थना है कि दोनों धन्धे बढ़ते जायें और आप सबमें पूरा मेल-जोल बना रहे । मैं यह सलाह भी देना चाहता हूँ कि यद्यपि आगे चलकर दक्षिण आफ्रिकाका भविष्य निश्चय ही अच्छा है तो भी आप जो काम हाथ में लें, उसमें अत्यन्त सावधान रहें। हमें अभी और भी बुरे दिन देखने पड़ेंगे; जो इस सत्यको समझ

१. अध्यक्ष, ब्रिटिश भारतीय संघ।

२. व ३.ये उपलब्ध नहीं हैं।