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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

कृतज्ञ हूँगा। इसमें जालसाजीका प्रश्न नहीं हो सकता, क्योंकि जो प्रमाणपत्र आप जारी करेंगे उसपर अंगुठेका निशान रहने के कारण किसी औरके द्वारा उसका उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

मो० क०गांधी

[अंग्रेजीसे]
पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ८८९

५०. पत्र: अब्दुल हकको

[जोहानिसबर्ग]

अगस्त८,१९०५

भाई अब्दुल हक,

पारसी कावसजी लिखते हैं कि उन्हें ५० पौंड दिये जायें तो आप उनकी ओरसे एक वर्षकी जमानत दे देंगे। रुस्तम सेठ क्या कह गये हैं, यह आपको मालूम होगा। अपने खाते लिखकर उतनी रकम पारसी कावसजीको देना आपको उचित दिखे, तो लिखिए। तब मैं उमर सेठको उतने पौंडका चेक काटनेको लिखूगा।

आजकल किराया हर माह कितना है, लिखिए।

मो० क० गांधी के सलाम

श्री अब्दुल हक
मारफत पेढ़ी जालभाई सोराबजी ब्रदर्स
११० फील्ड स्ट्रीट
डर्बन

गांधीजीके स्वाक्षरों में गुजरातीसे; पत्र-पुस्तिका (१९०५), संख्या ८९०