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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विरोधी भावना है उसकी वजहसे या तो उसका रूप बदल देना चाहिए और ऐसा न हो तो उसे हटा ही देना चाहिए, ताकि व्यक्ति-करके प्रति विरोधी भावना पैदा न हो।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-७-१९०५

२३. जापान द्वारा संधिकी तैयारी

सदेलियन टापूकी जीत

जापानियोंने सदेलियन नामके रूसी टापूपर कब्जा करके उसमें अपनी फौजें उतार दी हैं। यह टापू ६७० मील लम्बा और २० से लेकर १५० मील तक चौड़ा है। इसका क्षेत्रफल २४,५५० वर्ग मील है, अर्थात् यह सौराष्ट्रसे अधिक विस्तृत है। इस टापूका दक्षिणी भाग सन् १८७५ तक जापानके कब्जे में था, परन्तु इसके बाद इसे जापानने क्यूराइल टापूके' बदले में रूसियोंको दे दिया था। इसमें मिट्टीके तेलके बहुतसे कुएँ हैं। यहाँ कोयला भी बहुत निकलता है। इतने बड़े टापूपर जापानी अधिकार हो जानेका चालू सन्धिकी तैयारीपर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। 'टाइम्स' पत्रका कहना है कि इस सारे युद्धके दौरानमें अन्य किसी घटनाने रूसी लोगोंको इतना दु:ख नहीं पहुँचाया था। इस घटनाने यह बता दिया है कि रूसी अपनी सीमाकी रक्षा करने में सर्वथा असमर्थ है। इस टापूके रूसके हाथमें आये हुए भी ५० वर्ष पूरे नहीं हुए हैं। रूसने इसको राजनीतिक दाँवपेचोंसे अपने कब्जे में लिया था और इससे जापानको नुकसान उठाना पड़ा था। यदि इस भारी युद्धका प्रसंग न आता तो यह टापू आज भी रूसके हाथमें ही रहता। बहुत अरसेसे जापानने इस टापूपर अपनी नजर लगा रखी थी, और इस सामयिक जीतसे यह खयाल किया जा रहा है कि वाशिंगटनकी संधि-वार्तामें जापानकी स्थिति बहुत मजबूत रहेगी। संधि-समितिकी बैठक होते-होते हमें यह समाचार सुननेको मिल सकता है कि मार्शल ओयामाने रूसी सेनाध्यक्ष लिनेविचको करारी चोट दी है। जापानी सेना अल्पकालिक यद्ध-विराम करनेसे इनकार करती है और जोरदार लड़ाईसे रूसको वास्तविक संधिके लिए मजबूर करनेका उसका इरादा है। और वह साहसके साथ कहती है कि संधिके सिवा दूसरा चारा नहीं है, यह वह दिखा देगी और संधिकी वार्ता करनेवाले रूसी प्रतिनिधियोंको अन्तमें जापानकी मांगें मंजूर करनी ही पड़ेंगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १५-७-१९०५




१. उत्तर प्रशान्त महासागर में एक छोटा-सा द्वीप-समूह ।