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पत्र : दादाभाई नौरोजीको

रातको समितिकी बैठक हुई थी। उस बैठकमें प्रस्ताव हुआ है कि जोहानिसबर्गके सब भारतीयोंकी सभा बुलाकर चन्दा इकट्ठा करनेकी व्यवस्था की जाये । यदि धन एकत्रित हो जाये तो श्री गांधी के अलावा प्रिटोरिया समितिके मन्त्री श्री हाजी हवीब तथा हाजी वजीर अलीको भी भेजा जाये । बैठक वेस्ट ऐंड हालमें दो बजे होनेवाली है — यह सूचना दी जा चुकी है।

खनिकोंकी माँग

खनिकों का जो शिष्टमण्डल संविधान-समितिके सामने गया था उसने यह सिफारिश की है कि अब भारतीयोंको बिलकुल न आने दिया जाये और न उन्हें व्यापार आदिके दूसरे परवाने ही दिये जायें। अनुमतिपत्रकी दिक्कत अनुमतिपत्रोंकी दिक्कतसे तंग आकर संघने अपना आखिरी कदम उठाया है। उसने सरकारको लिखा है कि यदि अब अनुमतिपत्रकी परेशानी खतम नहीं होती, तो संघ चार प्रकारके परीक्षात्मक मुकदमे चलाना चाहता है। मुकदमे निम्न प्रकारके होंगे :

(१) जो यह सिद्ध कर सकें कि उन्होंने बोअर सरकारको तीन पौंड दे दिये हैं उन्हें बिना अनुमतिपत्रके आनेकी छूट होनी चाहिए।

(२) जिन्हें आनेकी छूट है, ऐसे लोगोंके १६ वर्षसे कम उम्र के लड़के-लड़कियोंको भी आने की छूट होनी चाहिए; और वह भी बिना अनुमतिपत्रके।

(३) जिन्हें आनेकी छूट हो, उनकी स्त्रियोंको भी बिना अनुमतिपत्रके आनेकी छूट होनी चाहिए।

(४) सरकार खुदमुख्त्यारीसे जिसे मर्जी हो उसे ही अनुमतिपत्र देती है। यह नहीं होना चाहिए। अनुमतिपत्र किसे दिये जायें, इस बाबत स्पष्ट तथा बाकायदा नियम होने चाहिए। यदि सरकारने इसके बारेमें सन्तोषजनक जवाब न दिया तो संघने इन सबके बारेमें परीक्षात्मक मुकदमा दायर करनेकी सूचना दी है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ९-६-१९०६
 

३७५. पत्र : दादाभाई नौरोजीको

डर्बन,
नेटाल,

जून ८, १९०६

सेवामें
माननीय दादाभाई नौरोजी
कैनिंगटन रोड
लन्दन
मान्यवर,

मुझे आपका पिछला तार मिला था, जिसमें सुझाव था कि मैं उसी जहाजसे इंग्लैंड रवाना हो जाऊँ जिससे आयोग सदस्य जानेवाले हैं।

मैं तदनुसार तैयारी कर रहा था, तभी नेटाल सरकारका पत्र मिला कि उन्होंने "भारतीय डोलीवाहक दल" बनानेके विषय में भारतीय समाजका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। इसलिए अब मेरे किसी भी दिन मोर्चेपर जाने की सम्भावना है।