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वक्तव्य : संविधान समितिको


२. सारे प्रश्नके बारेमें एक स्थायी और अन्तिम निपटारेके महत्वको देखते हुए और मामले-पर पुनर्विचारके प्रयत्नोंको रोकनेके लिए यह परिषद सिफारिश करती है कि सरकारसे प्रार्थना की जाये कि वह सभी एशियाई व्यापारियोंको युद्धके पहलेके कानूनन प्राप्त निहित स्वार्थीके मुआवजेकी व्यवस्था करके, बाजारोंमें भेजनेके औचित्यपर विचार करें।

३. यह परिषद एशियाइयोंको बाजारोंसे बाहर व्यापार करनेकी इजाजत देनेवाले व्यापारिक परवाने निरन्तर देते रहनेसे उत्पन्न गम्भीर खतरेको समझकर सरकारसे प्रार्थना करती है कि वह भविष्य में ऐसे परवानोंको रोकनेके लिए तत्काल आवश्यक कानून बनानेकी व्यवस्था करे और एशियाई प्रश्नपर विचार करनेके लिए प्रस्तावित आयोगकी नियुक्ति के विषयमें यह परिषद सरकारसे उसमें सरकारी कर्मचारियोंके अतिरिक्त दक्षिण आफ्रिकाकी वर्तमान परिस्थितियोंको भली-भांति जाननेवाले व्यक्तियोंको सम्मिलित करनेकी आवश्यकताका आग्रह करती है।

'४. यह परिषद अपनी इस रायपर कायम है कि सभी एशियाइयोंको बाजारोंमें रहनेपर बाध्य किया जाना चाहिए।

(ख) प्रगतिशील दलकी घोषित नीति निम्नलिखित है:

जिन्हें इकरारनामेकी समाप्तिपर वापस जाना है उन गिरमिटिया मजदूरोंको छोड़कर ट्रान्सवालमें एशियाइयोंके प्रवासपर रोक लगाना और एशियाई व्यापारिक परवानोंका नियन्त्रण।

(ग) पोचफस्ट्रमके लोग एक बार इकट्ठे हुए, ऊधम मचाया और भारतीय भण्डारोंकी खिड़कियाँ तक तोड़ डालीं।

(घ) बॉक्सबर्गके यूरोपीय, भारतीयोंको उस वर्तमान बस्तीसे जिसमें वे लड़ाईसे पहले बस चुके थे शहरसे बहुत दूर ऐसी जगह हटा देना चाहते हैं: जहाँ व्यापार एकदम असम्भव है; और उन्होंने एकाधिक बार यह धमकी दी है कि यदि कोई भारतीय बस्तीके बाहर दूकान खोलनेकी कोशिश करेगा तो शारीरिक बलका प्रयोग किया जायेगा।

पिछला अनुभव — एक समतुल्य उदाहरण

(१२) मुख्य वक्तव्यमें शिष्टमण्डलने कहा है कि पिछले अनुभवसे यह मालूम होता है कि मताधिकार से वंचित करना और परम्परागत निषेधाधिकार, दोनों ही, भारतीयोंको संरक्षण देनेमें एकदम अपर्याप्त सिद्ध हुए हैं।

(१३) अब हम उदाहरण देते हैं :

नेटालमें उत्तरदायी शासन देनेके बाद, भारतीय मताधिकारसे लगभग वंचित कर दिये गये थे। स्वर्गीय सर जॉन रॉबिन्सनने विधेयकके समर्थनमें कहा कि भारतीयोंको मताधिकार से वंचित करके नेटाल संसदका प्रत्येक सदस्य भारतीयोंका न्यासी हो गया है।[१]

विधेयकके संसदीय अधिनियम बनते ही न्यास इस तरह निभाया गया :

(क) कानून लागू होनेके बाद आनेवाले सभी गिरमिटिया भारतीयोंपर इकरारनामेकी समाप्तिपर भारत न लौटने अथवा नया इकरारनामा न भरने की परिस्थितिमें — ३ पौंड वार्षिक कर लगाया गया।

 
  1. देखिए खण्ड ३, पृष्ठ ३८७।