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३४५. भारतकी स्थितिपर 'रैंड डेली मेल' के विचार

पिछले कुछ हफ्तोंसे जोहानिसबर्ग के 'डेली मेल' में कोई व्यक्ति 'एल° ई° एन°' नामसे दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंकी स्थिति के बारेमें लिखा करता है। पिछले हफ्तेमें उसका अन्तिम लेख छापा गया है। उसमें उसने भारतीयोंके बारेमें नीचे लिखे विचार प्रकट किये हैं।

१. इसके बाद अधिकतर एशियासे आनेवाले लोगोंको दक्षिण आफ्रिकामें आनेसे रोका जाये।

२. अगर एशियाके मजदूरोंकी जरूरत पड़े, तो उन्हें इकरारके अनुसार गिरमिटकी अवधि पूरी होनेपर लाजिमी तौरसे भारत या उनका जो भी देश हो वहाँ वापस भेजा जाये।

३. एशियाके जो लोग इस देशमें आकर बसे हैं, उनके प्रति उदारताका बरताव किया जाये।

४. कुछ समयके लिए आनेकी इच्छा करनेवाले भारतीयपर किसी प्रकारकी सख्ती न की जाये।

इस प्रकार विचार प्रकट करनेवाला लेखक प्रभावशाली है और उसने दूसरे कई अखबारोंमें भी लिखा है। गिरमिटिया मजदूरोंको लाजिमी तौरपर वापस भेजनेकी बातको छोड़कर इस लेखककी दूसरी सब बातें बहुत कुछ मानने योग्य हैं। और इस प्रकारकी माँग हम कबसे करते आ रहे हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-५-१९०६
 

३४६. बालकों के अनुमतिपत्रके बारेमें सूचना

सोलह सालसे कम उम्रवाले बालकोंको फिलहाल अनुमतिपत्र नहीं दिये जाते। लेकिन ब्रिटिश भारतीय संघ इसके लिए लड़ रहा है। सम्भव है कि १६ सालसे कम, लेकिन १२ सालसे अधिक उम्र के जो बालक इस समय दक्षिण आफ्रिकामें आ चुके हैं, उनको कोई अड़चन नहीं होगी। इसलिए जिन लोगोंके १२ सालसे अधिक उम्र के लड़के दक्षिण आफ्रिकाके किसी भी बन्दरगाह में हों, वे उनके नाम-पते हमारे पास भेज दें। हम उन नामोंको यथास्थान पहुँचा देंगे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १९-५-१९०६