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३३९. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

मई १४, १९०६

ट्राम सम्बन्धी परीक्षात्मक मुकदमा

ट्राम सम्बन्धी मामला आज चलनेवाला था, लेकिन नगरपालिकाने मजिस्ट्रेटके सामने भी वैरिस्टर लानेका प्रस्ताव किया है, इसलिए मामला अगले शुक्रवार तक मुल्तवी कर दिया गया है। इस मामलेपर सर रिचर्ड सॉलोमन और लॉर्ड सेल्बोर्न बहुत ध्यान दे रहे हैं।

रेलगाड़ीकी तकलीफ

ट्रान्सवालकी रेलोंमें मुसाफिरोंको एक डिब्बेसे दूसरे डिब्बेमें हटानेका जो अधिकार गाडको मिला है, यहाँके व्यापार-संघने उसका विरोध किया है। यह कानून सबपर लागू होता है। अतएव संघके विरोधसे भारतीयोंको सहज ही फायदा हो सकता है। एक गोरेको थोड़ी तकलीफ हुई थी, उसीकी वजहसे यह सब हुआ है। संघकी बैठकमें भी कड़े भाषण हुए हैं।

अलीवॉल नार्थके[१] श्री अहमद सूस्ती कुछ दिन पहले जर्मिस्टनसे पार्क स्टेशन जा रहे थे। उस समय गार्डने उन्हें परेशान किया। उन्होंने इसकी शिकायत की है। रेलवे अधिकारियोंसे जवाब मिला है कि गार्डको झिड़की दी गई है। मैं लिख चुका हूँ कि ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष और मंत्री महाप्रबन्धकसे मिल आये हैं। अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना — इस कहावतके अनुसार महा-प्रबन्धक सूचित करते हैं कि प्रिटोरियासे शामको पाँच बजे छूटनेवाली गाड़ी में भी भारतीय अथवा दूसरे काले मुसाफिर न जायें। संघने लिखा है कि यह मुमानियत मंजूर नहीं की जा सकती, क्योंकि पाँच बजेवाली गाड़ी एक सुविधाजनक गाड़ी है और भारतीय उसपर से अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे।

आयोगकी बैठकें

सर जोज़ेफ वेस्ट रिजवेके आयोगकी तीन बैठकें जोहानिसबर्ग में हुई हैं। उनमें प्रगतिशील दल (प्रोग्रेसिव पार्टी) और रैंड अग्रगामी दल (रैंड पायोनियर्स) ने प्रमाण पेश किये हैं। मेजर बारनेटने ब्रिटिश भारतीय संघको लिखा है कि आयोग जब दूसरी बार जोहानिसबर्ग आयेगा, तब संघकी ओरसे भी प्रमाण लेगा। रंगदार लोक संघ (कलर्ड पीपल्स असोसिएशन) की ओरसे श्री डैनियल भी प्रमाण पेश करनेकी तजवीज कर रहे हैं।

भारतीयोंकी गन्दगी

फोर्ड्सबर्ग में पायोनियर और पार्क रोडके कोनेपर एक भारतीयकी साग-सब्जी और फलकी दूकान है। उसपर आरोप यह था कि जिस कोठरीमें खाने की चीजें थीं, उसीमें वह सोता था। सिपाहीने बयान देते हुए कहा कि जिस कोठरीमें अभियुक्त और दूसरा एक आदमी सोया था, उसीमें उसने फल, रोटी और साग-सब्जी देखी थी। उसी कोठरीमें एक परदेके पीछे एक कुतिया और उसके आठ पिल्ले भी थे। दुकानमें से बहुत बदबू आ रही थी। अदालतने उस आदमीको पाँच पौंडका जुर्माना अथवा तीन सप्ताहकी कैदकी सजा सुनाई। 'स्टार' में इस मामलेका विवरण छपा था। वह एक गोरेने मुझे बताया और कहा — "ऐसे लोग तुम्हारे देशवासियोंको मुसीबत में डालते हैं। ऐसे लोगोंके बचाव में तुम्हें क्या कहना है?" मेरे पास बचावमें कुछ नहीं था। उस अखबारको लेते हुए मुझे अपना सिर शर्म से झुका लेना पड़ा था।

 
  1. देखिए "जोहानिसबर्गफी चिट्टी", १४ ३१५-६।