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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

चाहिए। मैं मोहनलालको एक साप्ताहिक चिट्ठीके बारेमें लिखूंगा। व्याससे भी मैंने कहा। उन्हें फिलहाल 'ओपिनियन' निःशुल्क भेजने की जरूरत मुझे नहीं लगती। उन्हें अनुभव करने दो कि ये पत्र लिखना उनका कर्त्तव्य है।

नाटकवालोंसे अभीतक मैंने पैसा वसूल नहीं पाया। जबतक मैं वसूली कर न लूँ तुम काम मत करना।

जोहानिसबर्गके पत्रके सिलसिले में क्या वह सीधा आनन्दलालको तो नहीं मिला। क्योंकि मुझे लगता है मैंने अपने गुजराती लेखोंकी पहली किश्त आनन्दलालके नाम भेजी थी[१] . . . .

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस° एन° ४३५६) से।

 

३३२. पत्र : छगनलाल गांधीको

रविवार

[मई ६, १९०६]

चि° छगनलाल,

मुझे तुमको बहुत-कुछ लिखना है, किन्तु आज समय नहीं। तुम्हें फिलहाल एकदम हिसाब में भिड़ना है। इसके साथ गुजराती सामग्री भेज रहा हूँ। उसे देखकर और श्री हरिलाल ठाकुरको दिखाकर चि० आनन्दलालको दे देना। उसे अलग पत्र लिखनेकी इस समय फुरसत नहीं है। दूसरा पत्र आज रातको लिखूंगा, वह उसे सीधा भेज दूंगा। गुजरातीमें गलत न छपे, इसका ध्यान रखना। अपनी निगाह रखना, किन्तु सारा बोझा श्री ठाकुरपर डालना। मैं उन्हें लिखनेवाला हूँ कि गुजरातीकी सब सामग्री वे तुमको दिखायें। किन्तु तुम्हें उसपर फिलहाल एकदम बहुत समय नहीं देना है। शुक्रवार तक मैंने २० नाम और प्राप्त कर लिये हैं। भेजूंगा। उनमें से ६ व्यक्तियोंका पैसा भी आ गया है। चि० कल्याणदास मंगलकी सुबह आयेगा। वह वहाँ बुधवारकी शामको पहुँचेगा। बुधवारकी शामको तुम, या कोई और, उसे फीनिक्स स्टेशनपर मिल जाओ, तो काफी है। चि° कल्याणदासको डर्बनका सारा काम सौंप देना। तुम पखवाड़े में एक बार सम्पादककी टिकटसे जाओ, तो काफी है। हिसाबके ऊपर मुख्य ध्यान तुम्हें ही देना चाहिए।

चि° गोकुलदासको, जितनी जल्दी बने, भेजना। अथवा शनिवारको भेजना।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रतिकी फोटो नकल (एस° एन° ४३५७) से।

 
  1. यह पत्र अपूर्ण है।