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सम्पूर्ण गांधी वाम

दूसरे गोरे यात्रियोंको इकट्ठा करके काले आदमीको धमकी दी कि उसे जबरदस्ती निकाल बाहर किया जायेगा। इसपर गार्डने लाचार होकर बेचारे काले आदमीको उसकी जगहसे हटा दिया। इसमें किसी अधिकारीको दोष नहीं दिया जा सकता। जबतक गोरे अधिक उत्तेजित हैं, तबतक ऐसी बाधाएँ आती ही रहेंगी। दूसरे एक गोरेने "कुली-यात्री" (कुली ट्रैवेलर) शीर्षकसे 'ट्रान्सवाल लीडर' में जो लिखा है, उसका अनुवाद नीचे दे रहा हूँ :

श्री बाउकरने काले आदमीके बारेमें लिखा है, इसके लिए गोरोंको उनका उपकार मानना चाहिए। कुछ समय पहले मैं पाँचेफस्ट्रूमसे पार्क जा रहा था। उस गाड़ी में दो 'कुली' भी थे। यह सच है कि वे दूसरे डिब्बेमें बैठे थे। लेकिन इससे रोग दूर नहीं होता; क्योंकि उनके जानेके बाद फिर उसी डिब्बेमें गोरोंको बैठना होगा। फिर, उन दोनों कुलियोंने अपने हाथ गाड़ीमें टंगे हुए रूमालोंसे पोंछे। बादमें इन्हीं रूमालोंसे गोरोंको भी अपने हाथ पोंछने पड़ेंगे। और मुझे तो विश्वास है कि कोई भी अच्छा गोरा 'कुली' द्वारा काममें लाये गये प्याले या तौलिएका उपयोग करना नहीं चाहेगा। दरअसल रेलवेवालोंको चाहिए कि वे 'पब्लिक' का कुछ खयाल रखें।

लोग इस तरह कई अखबारोंमें लिखते पाये जाते हैं। ऐसे मौकोंपर भारतीयोंके लिए एक ही रास्ता है कि वे धीरज रखें।

श्री रिच तथा सर्व श्री जॉर्ज और जेम्स गॉडफ्रे

यहाँके अखबार में तारसे प्राप्त खबर छपी है कि श्री रिच विलायतमें अपनी परीक्षा पास कर चुके हैं। इसी तरह श्री जॉर्ज और श्री जेम्स गॉडफ्रे भी अपनी अन्तिम परीक्षामें पास हो गये हैं । अब कुछ ही समयमें वे दोनों भाई बैरिस्टर बनकर वापस आयेंगे।

चीनियोंकी हालत

जो चीनी खानोंमें काम कर रहे हैं उन्हें, यदि वहाँका काम पसन्द न हो तो, सरकारके खर्चसे वापस भेजनेकी विज्ञप्ति जल्दी जारी करनेके लिए केन्द्रीय सरकार जोर डाल रही है। दूसरी तरफ खानमालिक कहते हैं कि वे अपनी बस्तियोंमें इस तरहकी विज्ञप्ति नहीं चिपकाने देंगे। अगर खानवालोंने इस तरह विरोध किया तो सम्भव है कि भारी झगड़ा खड़ा हो जाये।

ट्राम सम्बन्धी मामला

ट्राम सम्बन्धी परीक्षात्मक मुकदमा अभी खत्म नहीं हुआ है। श्री कुवाडियाका मामला फिरसे न्यायाधीशकी अदालतमें चलनेवाला है। धर्मके वकीलने शनिवार १२ तारीखकी पेशी निश्चित कराई है।

संविधान-समिति

सर जोज़ेफ वेस्ट रिजवेका आयोग ट्रान्सवाल पहुँच गया है। इस समय वह प्रिटोरिया में है। ब्रिटिश भारतीय संघने पूछा है कि भारतीयोंकी हालतके बारेमें संघ जो प्रमाण पेश करना चाहे, आयोग उन्हें लेगा या नहीं ? अगर आयोग प्रमाण लेना स्वीकार करेगा तो उसके सामने सारी स्थिति पेश की जा सकेगी।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-५-१९०६