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३२२. पत्र : छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग

अप्रैल ३०, १९०६

चि° छगनलाल,

आज कुछ और गुजराती सामग्री भेज रहा हूँ। आज सवेरे कुछ सामग्री भेजनेका इरादा था लेकिन कल्याणदास दफ्तर देरीसे आया और मैं दफ्तरके काममें लग जाना चाहता था, इसलिए उसे डाकमें नहीं छुड़वा सका। फिर भी वक्त रहते सामग्री पहुँच जानेकी उम्मीद है।

११.३० पर प्रिटोरिया रवाना हो रहा हूँ। इसलिए बहुत नहीं लिख सकता।

कल्याणदास बुधके सवेरे रवाना होगा, मंगलको नहीं। उसकी इच्छा यहाँ एक दिन रहनेकी है। इसलिए गुरुवारको वह तुम्हारे पास पहुँचेगा। तुम काफिर लड़केको उसे मिलने और सामान ले जानेके लिए तीसरे पहरकी गाड़ीपर भेज देना। मैं जानता हूँ, गुरुवारको तुम सब, अखबारके काममें व्यस्त रहोगे।

सम्भव हो तो गोकुलदास शुक्रवारको निकले। अगर छुट्टी दी जा सके तो वह ४.३० की गाड़ीसे रवाना हो सकता है और डाक गाड़ी पकड़ सकता है। टिकिट तो एक तरफा ही खरीदे। अगर शुक्रवारको न निकल पाये तो शनिवारको बिलानागा निकले, ताकि यहाँ रविवारको आ जाये। कोशिश शुक्रवारको ही भेजनेकी करो, क्योंकि मुझपर कामकी भीड़ बहुत रहेगी।

शहरका काम कल्याणदास एकदम हाथमें ले ले। उसके लिए दूसरे दर्जेका सालाना पास निकलवा दो। अगर, जैसा कि तुम कहते थे, उसे बीचमें ही लौटना पड़ा तो पैसा वापस मिल सकता है। फिलहाल तुम्हारा सारा ध्यान खाता-बहीपर होना चाहिए।

आज दिनको गाड़ीमें या रातको घरपर अधिक विस्तारसे लिख सकूँगा।

तुमने बुखारसे पीछा छुड़ा लिया, यह खुशीकी खबर है।

मोहनदासके आशीर्वाद

श्री छगनलाल खुशालचन्द

मारफत 'इंडियन ओपिनियन'

फीनिक्स

गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस° एन° ४३५४) से।