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३१०. पत्र : उपनिवेश-सचिवको

डर्बन

अप्रैल २५, १९०६

सेवामें

माननीय उपनिवेश सचिव

पीटरमै रित्सबर्ग
महोदय,

इस महीनेकी २४ तारीखको नेटाल भारतीय कांग्रेसके तत्वावधान में ग्रे स्ट्रीटके कांग्रेस भवनमें ब्रिटिश भारतीय संघकी एक सभा हुई थी। उसमें ढाई सौसे अधिक भारतीय उपस्थित थे। उक्त सभामें बैरिस्टर श्री बर्नार्ड गैब्रियल द्वारा प्रस्तुत और बी° इब्राहीम इस्माइल कम्पनीके श्री इस्माइल कोरा द्वारा अनुमोदित संलग्न प्रस्ताव सर्वसम्मतिसे पास किया गया। मैं सरकारका ध्यान इस ओर आदरपूर्वक आकर्षित करता हूँ कि प्रस्ताव में उल्लिखित अवसरपर बहुत-से ब्रिटिश भारतीयोंने अपनी सेवाएँ देनेका प्रस्ताव किया था और आहत सहायक दलोंके नायकोंके रूपमें उनकी सेवाएँ स्वीकार भी की गई थीं। नेटाल भारतीय कांग्रेसके विचारसे, अगर आवश्यक हो तो, वर्तमान संकटके लिए भी, इसी तरहका सहायक दल संगठित करना सम्भव है। कांग्रेसका विश्वास है कि सरकार यह प्रस्ताव स्वीकार करनेकी कृपा करेगी। यह निवेदन भी कर दूँ कि सभाके अन्तमें कोई चालीस ब्रिटिश भारतीयोंने आहत-सहायता अथवा, जिनके लिए उन्हें उपयुक्त समझा जाये, ऐसे अन्य कार्योंके लिए अपने नाम दिये हैं।

आपका आज्ञाकारी सेवक,

दाऊद मुहम्मद

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २८-४-१९०६
 

३११. 'नेटाल मर्क्युरी' को भेंट

नेटाल भारतीय कांग्रेस द्वारा नियुक्त एक समितिने यह निश्चय किया था कि साम्राज्य सरकारके सम्मुख भारतीयोंकी शिकायतें पेश करनेके लिए एक शिष्टमण्डल भेजा जाये। इस शिष्टमण्डलमें गांधीजी, इस्माइल कोरा और ट्रान्सवाल एवं केपके प्रतिनिधि शामिल किये जानेवाले थे। नेटाल मर्क्युरी के एक संवाददाताने गांधीजी भेंट की थी। निम्नलिखित उद्धरण उसकी रिपोर्टसे दिया जा रहा है :

[अप्रैल २६, १९०६ के पूर्व]

इस विषय में भेंट करनेपर श्री गांधीने कहा कि शिष्टमण्डल सम्भवतः अगले दो महीने के भीतर रवाना हो जायेगा। ट्रान्सवाल और केपने अभी उत्तर नहीं दिया है। उनका इरादा यह हैं कि वे समस्त दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंकी शिकायतें ब्रिटिश सरकारके सम्मुख रखें और उनका उचित निराकरण करवाएँ। वे उन निर्योग्यताओंको भी पेश करेंगे जो ब्रिटिश