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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नामा करानेके बाद भी अड़चन उपस्थित हो सकती है। और अगर दोमें से एक भी विवाहित हो, तो १६ सालसे कम उमर होनेपर भी माता-पिताके हकके आधारपर वह आनेका हकदार नहीं बनता।

नेटालका निवासी खुद आना चाहे और उसके पास अधिवासी प्रमाणपत्र न हो, तो उसे भी तकलीफ उठानी पड़ती है। इसके लिए अधिकारीके सामने पहलेसे ही पक्के सबूत पेश करने पड़ते हैं। तिसपर भी ऐसा मनुष्य तुरन्त उतर सके, इसका तो एक यही उपाय है कि वह जमानतके १०० पौंड जमा करके उतरे, और बादमें सबूत पेश करे; अथवा १० पौंडका अभ्यागत पास लेकर उतरे और बादमें सबूत दे। १०० पौंड जमा करानेपर सरकारको एक पौंड शुल्क नहीं देना पड़ता। लेकिन १० पौंडका पास लेनेके लिए नये नियमके अनुसार एक पौंडका शुल्क देना जरूरी है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २१-४-१९०६

३०६. जोहानिसबर्गको चिट्ठी

जोहानिसबर्ग

अप्रैल २१, १९०६

मलायी बस्ती सम्बन्धी शिष्टमण्डल

मैं पिछले हफ्ते कह चुका हूँ कि मलायी बस्तीके बारेमें सर रिचर्ड सॉलोमनके[१] पास जो शिष्टमण्डल गया था, उसकी जानकारी दूंगा; सो अब दे रहा हूँ।

श्री हाजी वजीरअली सर रिचर्डसे मिले और उन्होंने नीचे लिखी हकीकत पेश की :

बोअर सरकारने मलायी लोगोंको जमीन दी, तब उन्होंने उसे सुधार कर तैयार किया; और जब उन्होंने घर बनाने के लिए अर्जी दी, बोअर सरकारने उन्हें बिना किसी शर्तके घर बनाने दिये। नतीजा यह हुआ कि मलायी बस्ती में कई अच्छे और पक्के घर बन गये हैं। साथ ही, वहाँ के निवासियोंने जमीन सुधारी है, और आसपास बस्ती बढ़ी है। जब मलायी बस्तीका स्थान निश्चित हुआ था उस समय उसके आस-पास गोरे बढ़ रहे थे। किन्तु उस समय उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की। यद्यपि बस्तीके निवासियोंने अपनी जमीनोंको कई बरस पहले दुरुस्त कर लिया था, फिर भी उनको कोई पट्टा नहीं दिया गया है। पिछले सितम्बर महीने में इस आशयका एक कानून पास हुआ है कि बस्तीका स्वामित्व जोहानिसबर्गकी नगर-पालिकाको सौंप दिया जाये। दूसरी तरफ, सरकार फ्रीडडॉर्पमें रहनेवाले डच लोगोंको निश्चित अधिकार देना चाहती है। सम्भव है कि नगरपालिकाको मलायी बस्ती सौंपनेका परिणाम बस्तीके निवासियोंके हकमें बहुत बुरा ठहरे।

जब डच लोगोंको हक दिये जाते हैं, तब मलायी बस्तीके निवासियोंको, जो हमेशा वफादार रहे हैं। ये हक मिलने ही चाहिए।

अगर मलायी वस्तीके लोगोंको स्थायी पट्टा दिया जाये, तो अनुमान किया जा सकता है कि वे जमीनको और भी सुधारेंगे और उसपर अधिक सुन्दर मकान बनायेंगे।

 
  1. ट्रान्सवालके स्थानापन्न लेफ्टिनेंट गवर्नर।