पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/३२२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

परवाना अधिनियम कितना उत्पाड़क और अन्यायपूर्ण है। दादा उस्मानकी दरखास्तमें जो तर्क उठाये गये थे उनकी इस लेडीस्मिथके मामलेसे पुष्टि हो गई है।' जबतक सर्वोच्च न्यायालय में अपीलका अधिकार फिर नहीं दिया जाता तबतक विक्रेता परवाना अधिनियम के अन्तर्गत किसीको भी न्याय मिलनेकी संभावना नहीं है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १४-४-१९०६
 

२९४. ट्रान्सवाल अनुमतिपत्र अध्यादेश

शान्ति-रक्षा अध्यादेश, जैसा कि उसके नामसे ही प्रकट होता है, ऐसे समय पास किया गया जब ट्रान्सवालकी सीमाके अन्दर शान्तिको खतरा था। परन्तु वह तभीसे ब्रिटिश भारतीयोंके सिरपर सदा नंगी तलवारकी तरह झूल रहा है, जो किसी भी समय गिर सकती है। हमारे ट्रान्सवालके संवाददाताने हमारे पाठकोंका ध्यान एक ताजी घटनाकी ओर आकर्षित किया है। ऐसा जान पड़ता है कि डेलागोआ-बेके एक बहुत प्रसिद्ध भारतीयके पुत्र श्री सुलेमान मंगा कुछ वर्षोंसे इंग्लैंडमें बैरिस्टरीकी शिक्षा पा रहे थे। वे अब बैरिस्टर हो गये हैं और अभी इंग्लैंडसे डेलागोआ-बेमें अपने रिश्तेदारोंसे मिलनेके लिए आये हैं। वे डर्बनमें उतरनेके बाद, डेलागोआ-वे जाते हुए ट्रान्सवालसे गुजरना चाहते थे। इसलिए उन्होंने जोहानिसबर्गके एक वकीलको अपने लिए अनुमतिपत्रकी दरखास्त देनेकी हिदायत की। प्रतीत होता है कि उनके वकील श्री गांधीने यह मान लिया कि वे ब्रिटिश भारतीय हैं, और दरखास्त दे दी। कुछ दिनोंके विलम्बके पश्चात् उनके पास उत्तर आया कि उनके मुवक्किलको अस्थायी अनुमतिपत्र नहीं दिया जा सकता। तब उन्होंने उपनिवेश- सचिवको दरखास्त दी और वहाँसे भी उनको वही उत्तर मिला। उसमें दरखास्तकी अस्वीकृतिका कोई कारण नहीं बताया गया था। तब श्री मंगा डेलागोआ बेके एक जहाजपर सवार हो गये। वे युवा और उत्साही थे एवं इंग्लैंडसे ताज़े लौटे थे; इसलिए इस प्रकार अपनी दरखास्तकी अस्वीकृति बर्दाश्त न कर सकते थे। अपने थोड़े दिनोंके प्रवासमें वे ट्रान्सवालकी राजधानी और स्वर्ण खान-केन्द्रको देखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पुनः बन्दरगाहपर एशियाई संरक्षकको दरखास्त दी; परन्तु उनको वहाँसे भी वही जवाब दिया गया जो उनके वकीलको दिया गया था। तब, वस्तुतः पुर्तगाली प्रजा होनेके कारण, उन्होंने खुद अपनी सरकारसे अपील की और उसने अपने प्रजाजनकी शीघ्र सहायता की और श्री मंगा महामहिम सम्राट के ब्रिटिश वाणिज्य-दूतका अनुमतिपत्र लेकर ट्रान्सवालमें प्रविष्ट हो गये।

यह सरकारको प्राप्त निरंकुश सत्ताके बहुत ही स्पष्ट दुरुपयोगका एक नमूना है। यहाँ हम एक जापानी प्रजाजन श्री नोमूराके एक ऐसे ही मामलेको याद कर सकते हैं। उक्त सज्जनने ट्रान्सवालमें अपना व्यापारिक माल बेचनेकी दृष्टिसे एक अस्थायी अनुमतिपत्रके लिए दरखास्त दी। मुख्य अनुमतिपत्र-सचिवने उसे अस्वीकार कर दिया। प्रत्यक्ष है, उन्होंने अपने मनमें सोचा कि जब एक ब्रिटिश प्रजाजनको ऐसी सहूलियतें प्राप्त नहीं हैं, तब वे श्री नोमूराको ही कैसे दे सकते हैं? मामलेपर सार्वजनिक रूपसे चर्चा की गई और 'ट्रान्सवाल लीडर' ने श्री नोमूरासे सार्व-

१. देखिए "प्रार्थनापत्र : लॉर्ड एलगिनको", पृष्ठ २५६-८।

२. देखिए "पत्र : 'लीडर' को", पृष्ठ २७२।