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एक मुश्किल मामला


[पुनश्च]

भाई सुलेमानका ठीक प्रबन्ध करना। शेष गुजराती सामग्री मुझे वहीं देनी पड़ेगी। दूसरा उपाय नहीं है।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रतिकी फोटो नकल (एस° एन° ४३५३) से।

 

२९३. एक मुश्किल मामला

विगत ३० मार्चको लेडीस्मिथमें परवाना सम्बन्धी जिस मुकदमेकी अपीलकी सुनवाई हुई थी, उसका सार हमने पिछले सप्ताह छापा था। क्लिप रिवर डिविजन में, विटेक्लेफॉटीन नामक फार्मपर पिछले तीन सालसे एक भारतीय व्यापारी व्यापार करता था। बादमें 'बर्डेट ऐंड कम्पनी' नामसे एक यूरोपीय पेढ़ीने उसके निकट ही अपनी दूकान खोल ली। 'नेटाल विटनेस' में छपी ख़बरसे मालूम पड़ता है कि पेढ़ीके साझेदारोंमें सार्जेन्ट बैटरबर्ग भी है, जो उस डिवीजनका सरकारी अभियोक्ता है। पुलिसने भारतीय व्यापारीकी अनुपस्थितिमें उसके एक कर्मचारीको फाँस लिया और रविवारको व्यापार करनेके अपराधमें सजा दे दी। उसने साबुनकी एक टिकिया और कुछ चीनी बेची थी। भारतीय दुकानदारको जब लौटनेपर यह मालूम हुआ कि उसके कर्मचारीने रविवारको व्यापार करनेका अपराध किया है तो उसने उसको बर्खास्त कर दिया। जब उस दूकानके परवानेके नवीनीकरणका समय आया तो परवाना अधिकारीके सामने बर्डेट ऐंड कम्पनीने उसको परवाने देनेके विरुद्ध इस बिनापर उज्ज्रदारीकी कि उसने रविवासरीय कानूनका उल्लंघन किया है। परवाना अधिकारीने इस ऐतराजको मान लिया और परवाना देनेसे इनकार कर दिया। बेचारे भारतीय दूकानदारने उसके निर्णयके विरुद्ध परवाना निकायके सामने अपील की; परन्तु उसकी अपील उसके वकीलकी जोरदार पैरवीके बावजूद खारिज कर दी गई और निकायने फैसला देते हुए कहा कि परवाना अधिकारीने ऐसा इसलिए किया कि, दुकानदारके कर्मचारीने रविवासरीय नियमोंका उल्लंघन किया था और निकायने इसी तरहके एक दूसरे मामलेका हवाला दिया जिसमें परवाने के लिए दिया गया एक यूरोपीयका आवेदनपत्र अस्वीकार किया जा चुका था। परन्तु हमारा खयाल तो यह है कि निकायने जिस यूरोपीयके मामलेकी चर्चा की है उसका इस मामलेसे कोई सम्बन्ध नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ बुनियादी बातें नहीं मिलतीं। इस मामले में भारतीय दूकानदारने खुद अपराध नहीं किया। उसने गलतीको दुरुस्त करनेका एकमात्र सम्भव उपाय भी किया और आखिर यह बात तो एक मामूली आदमीको भी साफ दिखाई देती है कि सारा ऐतराज एक ऐसी प्रतिद्वंद्वी व्यापारी पेढ़ीने उठाया, जिसका भारतीय दूकान को हटाने में स्वार्थ है। फिर यह तथ्य भी कुछ कम महत्वपूर्ण नहीं है कि उक्त पेढ़ीके साझेदारोंमें लेडीस्मिथका सरकारी अभियोक्ता भी है और उसीने भारतीय दूकानदारके कर्मचारीपर अभियोगका संचालन भी किया था। अपीलकर्ता भारतीय दुकानदारके वकीलने निकायके सामने यह ऐतराज उठाया था कि बर्डेट ऐंड कम्पनी निकायके सामने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। दरअसल यह दुःखकी बात है कि निकायने अपीलको मंजूर नहीं किया। हमें यह खयाल अवश्य ही आता है कि अपने फैसलेसे निकायने इस तरहके विरोधको, जैसा कि इस मामलेमें किया गया है, उत्तेजन ही दिया है। भारतीय दूकानदारका नौकर कानूनकी धाराको भँग करनेपर पहले ही दण्डित किया जा चुका है। अब उसी अपराधमें वह स्वयं परवानेसे वंचित कर दिया गया है। यह सजा कतई अपराधके अनुरूप नहीं है । परन्तु इस मामलेसे तो यही सिद्ध होता है कि नेटालका विक्रेता-