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२७८. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

मार्च ३१, १९०६

डॉ° अब्दुर्रहमान

डॉक्टर अब्दुर्रहमान ग्यारह दिन रहकर केपको रवाना हो गये हैं। प्रिटोरियामें वे सर रिचर्ड सॉलोमन और जनरल स्मट्ससे मिले थे। और ३० मार्चको वे जोहानिसबर्ग में लॉर्ड सेल्बोर्नसे मिले। डॉक्टरने उनके सामने ट्रान्सवाल तथा ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें रहनेवाले केपके रंगदार लोगोंकी शिकायतें पेश कीं। लॉर्ड सेल्बोर्नके उत्तरका सार यह था कि वे अभी तत्काल तो कुछ भी कर सकने में असमर्थ हैं, जब नया विधान बनेगा तब यथासम्भव सहायता करेंगे। वे बड़े विनयशील हैं। और सद्भावना रखते हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब नया विधान बनेगा तब वे यहाँ होंगे भी या नहीं।

डॉक्टर अब्दुर्रहमानसे मिलनेके लिए ब्लूमफॉटीन स्टेशनपर केपके बहुतसे रंगदार लोग हाजिर थे।

ट्रामका मुकदमा

ट्राम प्रणालीका जो मुकदमा मजिस्ट्रेटकी अदालतमें जीता था, उसपर नगर परिषदने अपील करनेकी सूचना दी थी।[१] अब उसके वकीलने सूचित किया है कि नगर परिषद अपील नहीं करना चाहती। लेकिन ऐसा मालूम होता है कि अभी एक और मुकदमा लड़नेके बाद भारतीयोंको ट्राममें चलनेकी छूट मिलेगी। क्योंकि नगर परिषदका खयाल है कि पिछले मुकदमे में उसने अच्छी तरह मोर्चा नहीं लिया । इसलिए मुझे डर हैं कि हमारे लोगोंको अभी और राह देखनी होगी।

घरोंकी जांच

डॉक्टर पोर्टरने घरोंकी कड़ी जाँच शुरू की है। डोरनफॉटीन जैसे मुहल्लेमें एक गोरेका पूरा मकान बन्द करवा दिया है और उसे अपना मकान गिरा देनेके लिए मजबूर किया है। इसलिए जहाँ-जहाँ भारतीयोंके घर खराब हों वहाँ मकान मालिकोंको चेतकर चलना है।

चीनी मजदूर

चीनियों सम्बन्धी खलबली अभीतक जारी है। खानवालोंके मन अस्थिर हैं। इस कारण व्यापार दिनपर-दिन कमजोर होता जा रहा है, और सम्भव है कि अभी कमसे कम एक साल तक व्यापारकी हालत ऐसी ही रहेगी।

सैकड़ों गोरे मजदूर, राज, चित्रकार आदि कामके अभाव में बैठे हुए हैं। ब्लूमफॉटीनके रेलवे विभाग में ५०० मजदूर थे। अब उनमें से ३०० बचे हैं। उनमें से १५० को सरकारने चले जानेकी सूचना दी है।

झूठे अनुमतिपत्रसे अथवा बिना अनुमतिपत्रके दाखिल होनेके बाबत दो भारतीय गिरफ्तार हुए हैं। उनके मुकदमे ९ अप्रैलको शुरू होनेवाले हैं। दोनों जमानतपर छूटे हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ७-४-१९०६
 
  1. देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी", पृष्ठ २३९-४०।