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२७६. कैडबरी बन्धुओंकी उदारता
नौकरोंको कैसे रखना चाहिए

कैडबरी कोकोवाले कैडबरी बन्धुओंकी पेढ़ी सारी दुनियामें मशहूर है। उन्होंने एक छोटेसे कामसे जबर्दस्त धन्धा खड़ा कर लिया है। वे आजकल लन्दनके 'डेली न्यूज' पत्रके मालिक हैं और क्वेकर सम्प्रदायके हैं। वे जो मुनाफा कमाते हैं, उसमें से अपने नौकरोंकी स्थिति बराबर सुधारते चले आ रहे हैं। उन्होंने ६०,००० पौंडकी एक रकम निकालकर अपने नौकरोंको पेंशन देनेके लिए एक बड़ी निधि कायम की है। उनके यहाँ बहुत नौकर हैं, और उन नौकरोंमें कई बहुत पुराने और वफादार हैं। जब इस प्रकार नौकरोंकी चिन्ता की जाती है, तो इसमें आश्चर्य ही क्या कि नौकर बड़ी लगनके साथ, अपना ही काम समझ कर, अपने मालिकका काम करें?

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-३-१९०६
 

२७७. जोहानिसबर्गको चिट्ठी
डॉ° अब्दुर्रहमानका भाषण

गत २१ मार्चको रंगदार लोगोंकी एक बड़ी सभा मिलनर हाल में हुई थी। डॉक्टर अब्दुर्रहमान इस सभाके लिए खास तौरपर पधारे थे। डॉक्टर अब्दुर्रहमान आफ्रिकी राजनीतिक संघ (आफ्रिकन पॉलिटिकल ऑर्गनाइज़ेशन) के सभापति हैं। वे केप टाउन नगरपालिकाके सदस्य भी हैं। श्री डैनियल इस सभा के सभापति थे। हाल खचाखच भर गया था। लगभग ५०० व्यक्ति हाजिर थे। उनमें कुछ भारतीय भी थे। श्री अब्दुल गनी, श्री उमर हाजी आमद झवेरी, श्री हाजी वजीर अली, श्री गांधी वगैरह भी हाजिर थे।

उनके भाषणकी खास-खास बातें नीचे देता हूँ।

सभाका उद्देश्य

"आज हम इसलिए इकट्ठे हुए हैं कि हमें सम्राट्के नाम अपने अधिकारोंके विषयमें अर्जी भेजनी है। इसके लिए एक अर्जी तैयार की गई है, जिसपर सब 'रंगदार लोगों' की सहियाँ ली जा रही हैं। जब ट्रान्सवालमें और ऑरेंज रिवर कालोनी में होनेवाली तकलीफोंका हमें केपमें पता चला, तब हमने सोचा कि हमें आपके लिए जितनी बने उतनी मेहनत करनी चाहिए। इसमें हमारा भी स्वार्थ है, क्योंकि अगर आपके अधिकार छीने जायेंगे, तो आखिर केपमें भी वैसा ही हो सकता है।

दुःखोंकी कथा

"ट्रान्सवाल और ऑरेंज रिवर कालोनीमें रंगदार लोगोंको बहुत दुःख उठाने पड़ते हैं लेकिन उनमें मुख्य दुःख यह है कि 'रंगदार लोगों' को मतदानका हक नहीं है और दीवानी हक तो बहुतेरे छीन लिए गये हैं। हम हमेशा गुलामीकी हालत में रहेंगे, तो हमारी परिस्थिति