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२७३. लड़ाईके दावे

जिन लोगोंको लड़ाईके कारण क्षति पहुँची थी, उन्होंने सरकारके सामने अपने दावे पेश किये थे। इन दावोंकी जाँचके लिए जो आयोग नियुक्त किया गया था, उसके सदस्योंने जाँच पूरी कर ली है। उनकी रिपोर्टसे पता चलता है कि लगभग ९०,००० दावे दायर हुए थे, और दावेदारोंने २०,००,०००[१] पौंडका दावा किया था। उन्हें ९५,००,०००[१] पौंड दिये गये हैं। इनमें से ५०,००,००० पौंड ऑरेंज रिवर कालोनीके डच नागरिकों (बर्गर्स) और २०,००,००० पौंड ब्रिटिश प्रजाजनोंको तथा दूसरोंको दिये गये हैं। शेष रकम ट्रान्सवालके और फाइहीडके डच नागरिकोंको मिली है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-३-१९०६
 

२७४. भारतीय मामलोंके लिए ब्रिटिश संसद सदस्योंकी नई समिति

सर विलियम वेडरबर्न भारतका हित करनेका एक भी अवसर चूकते नहीं हैं। 'इंडिया समाचारपत्रके पिछले अंकसे पता चलता है कि उन्होंने सभा करके भारत सम्बन्धी एक संसद-समिति (इंडियन पार्लमेंटरी कमिटी) को फिर खड़ा किया है। ऐसी एक समिति कुछ साल पहले थी, जो पिछली संसदके समय लगभग टूट गई थी। इस समितिमें भारतका हित चाहनेवाले सदस्य सम्मिलित होते हैं। इस बार जो समिति बनी है वह बहुत जबरदस्त है। उसमें कई प्रख्यात सदस्य सम्मिलित हुए हैं। सर हेनरी कॉटन, श्री हरबर्ट रॉबर्ट्स, श्री पिकर्स गिल, श्री ओ डोनल आदि सुप्रसिद्ध सदस्य इस समितिमें दाखिल हुए हैं, और उनका यह खयाल है कि नई संसदमें भारतके साथ न्याय होगा। इस सबके लिए हमें सर विलियम वेडरबर्नका आभार मानना चाहिए।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-३-१९०६
 

२७५. सर जॉर्ज बर्डवुडकी बहादुरी और एक क्लबका हल्कापन

लन्दनमें सेंट स्टीवन्स क्लब एक बहुत पुराना और मशहूर क्लब है । सर जॉर्ज बर्डवुड उसके एक प्रसिद्ध सदस्य थे। उन्होंने भारतमें कई वर्षों तक नौकरी की है, और भारतीयोंके प्रति सदा प्रेमभाव रखा है। उन्होंने एक बहुत ही प्रसिद्ध भारतीयका नाम स्टीवन्स क्लबकी सदस्यता के लिए पेश किया, पर दूसरे सदस्योंने इसपर आपत्ति की। इस कारण उन्होंने सेंट स्टीवन्स क्लबकी सदस्यतासे त्याग-पत्र दे दिया है। सर जॉर्ज बर्डवुड धन्य हैं। ऐसे आँग्ल भारतीयोंके कारण ही भारतवासी अंग्रेजी राज्यको सहन कर रहे हैं।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-१-१९०६