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२७१. कुमारी बिसिक्सको[१] मृत्यु

हम कर्त्तव्यवश यह दु:खद समाचार दे रहे हैं कि एक ऑपरेशनके बाद जोहानिसबर्गकी कुमारी ऐ° एम° बिसिक्सकी मृत्यु हो गई। कुमारी विसिक्स एक सुयोग्य अंग्रेज महिला थीं। उन्होंने जोहानिसबर्ग शाकाहार आन्दोलन में प्रमुख भाग लिया था और वे थियोसॉफिकल सोसाइटीकी एक प्रधान सदस्या थीं। भारतीयोंके प्रति वे अनेक प्रकारसे गहरी सहानुभूति रखती थीं। उनकी मृत्युपर बहुत शोक प्रकट किया जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-३-१९०६
 

२७२. ट्रान्सवालमें अनुमतिपत्र सम्बन्धी जुल्म

हमें पता चला है कि ट्रान्सवालमें अनुमतिपत्र सम्बन्धी जुल्म दिन-दिन बढ़ता जा रहा है। मालूम होता है कि अब अस्थायी अनुमतिपत्र देना बिलकुल बन्द कर दिया गया है। श्री इस्माइल मंगाके भतीजे श्री सुलेमान मंगा ने, जो हाल ही विलायतसे डर्बन आए डेलागोआ-बे जानेके लिए अस्थायी अनुमतिपत्र माँगा था। लेकिन उपनिवेश-सचिवने उनकी अर्जी मंजूर नहीं की और श्री सुलेमान मंगाको समुद्री मार्गसे जाना पड़ा। यह जुल्म कुछ कम नहीं कहा जायेगा।

जापानके श्री नोमूराको अस्थायी अनुमतिपत्र मिलनेमें दिक्कत हुई थी, और उन्होंने इसके लिए समूचे ट्रान्सवालको थर्रा दिया। श्री नोमूराकी तुलनामें श्री सुलेमान मंगाका अधिकार ज्यादा था, क्योंकि वे ब्रिटिश प्रजा हैं। शिक्षाके लिहाजसे भी श्री नोमूराकी तुलना में श्री सुलेमान मंगाका हक अधिक था, फिर भी उन्हें ट्रान्सवालसे गुजरनेकी इजाजत नहीं मिली।

यह तो मौजूदा तकलीफोंका केवल एक नमुना है। जो खबरें हमारे पास आ रही हैं, वे सब सच हों तो कहना होगा कि लॉर्ड सेल्बोर्नने जो वचन दिया है, उसका पालन होनेके बजाय भंग हो रहा है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-३-१९०६
 
  1. देखिए पादटिप्पणी, पृष्ठ ३६।