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२५९. 'कलर्ड पीपुल्' का प्रार्थनापत्र

प्रिटोरिया में "कलर्ड पीपल्" [रंगदार लोगों] की बैठक हुई थी। इस अंकमें हम उसका विवरण दे रहे हैं। उनके द्वारा दी गई अर्जीका अनुवाद भी छाप रहे हैं। हम "कलर्ड पीपुल्" शब्दका प्रयोग कर रहे हैं, क्योंकि उसका अनुवाद "काले लोग" करनेसे उसमें वर्तनियोंका समावेश हो जाता है। इस बैठक में बतनी नहीं थे। उसमें खास तौरपर "केप बॉय" कहलाने-वाले लोग थे, और वे लोग थे, जिनके माँ-बापमें से कोई-न-कोई गोरा है। उसमें कुछ मलायी भी शरीक हुए हैं।

"कलर्ड पीपुल्" के इस संघमें भारतीयोंका समावेश नहीं है। भारतीय हमेशा इस बैठकसे दूर रहे हैं। हम मानते हैं कि भारतीयोंने इसमें समझदारीसे काम लिया है। यद्यपि उनकी और भारतीयोंकी मुसीबतें लगभग एक ही प्रकारकी हैं, फिर भी दोनोंके इलाज एक नहीं हैं। इसलिए मुनासिब यह है कि दोनों अपने-अपने ढंगसे लड़ाई लड़ें। हम १८५७ की[१] घोषणाका उपयोग अपने पक्षमें कर सकते हैं। "कलर्ड पीपुल्" नहीं कर सकते। वे अपने पक्षमें यह जबरदस्त दलील दे सकते हैं कि वे इसी देशकी सन्तान हैं। उनकी रहन-सहन बिलकुल यूरोपीय है। वे इस तथ्यका उपयोग भी अपने पक्षमें कर सकते हैं। हम भारत-मन्त्रीके नाम अर्जी भेज सकते हैं। वे यह नहीं कर सकते। चूंकि वे अधिकतर ईसाई हैं, इसलिए अपने पादरियोंकी मदद ले सकते हैं। हमें उनकी मदद नहीं मिल सकती। स्पष्ट ही "कलर्ड पीपुल्" ने एक बड़ी लड़ाई छेड़ी है। अतएव हमारे लिए इतनी टिप्पणी लिखना जरूरी हो गया है।

प्रिटोरियामें उनकी जो बैठक हुई थी, उसमें उन्होंने कुछ अतिरेकपूर्ण बातें की थीं और लॉर्ड मिलनरके बारेमें अपमानजनक शब्दोंका उपयोग किया था। 'टाइम्स ऑफ नेटाल' ने इसकी कड़ी आलोचना की है। उनके सभापतिने कहा कि काले लोगोंपर जुल्म ढानेसे बोअरोंने राज्य खोया, और अगर काले लोगोंपर जुल्म जारी रहा, तो अंग्रेज राज्य खोयेंगे। यह धमकी बेकार है। इसमें बोलनेवालेका मंशा यह था कि "कलर्ड पीपुल्" मुकाबला करेंगे। उनमें मुकाबला करनेकी ताकत भी नहीं है। मनुष्यको हमेशा अपनी ताकतका ध्यान रखकर ही काम करना चाहिए। "कलर्ड पीपुल्" का प्रार्थनापत्र बहुत अच्छा है। उसमें उन्होंने पर्याप्त जानकारी दी है, और उसके सिवा और कुछ नहीं दिया। जो जानकारी दी है, वह इतनी ठोस है कि उसके विषयमें दलील देनेकी जरूरत नहीं। उन्होंने यह सिद्ध करके दिखाया है कि आजतक वे केप कालोनी में पर्याप्त अधिकारोंका उपभोग करते आये हैं। तो फिर ट्रान्सवालमें और ऑरेंज रिवर कालोनी में उन्हें वे अधिकार क्यों न मिलें?

इस प्रार्थनापत्र पर समर्थन प्राप्त करनेके लिए वे लोग डॉक्टर अब्दुर्रहमानको[२] विलायत भेजना चाहते हैं। यह कदम बहुत अच्छा और जरूरी है। इस समय हर समाजको अपनी बात सुनानेके लिए जितना हो सके उतना प्रयत्न करना चाहिए। इस प्रयत्नके लिए यहाँसे एक-दो व्यक्तियोंको जाना चाहिए।

हमें यह देखना चाहिए कि "कलर्ड पीपुल्" के इस आन्दोलनका परिणाम क्या होगा। हो सकता है कि जब वे लोग इतनी मेहनत कर रहे हैं, तो एक हद तक उसका कुछ अच्छा फल

 
  1. स्पष्टतः १८५८ के स्थानपर भूलसे १८५७ लिखा गया है।
  2. आफ्रिकी राजनैतिक संघके अध्यक्ष और केप टाउनकी नगरपालिकाके एक सदस्य।