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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

निकलता है कि उनके कार्यकालमें नये कानून बनाते समय भारतीय प्रजाकी भावनाका ध्यान रखा जायेगा । किन्तु श्री मॉर्लेने बताया है कि हम शासनके काम-काजमें हाथ बँटाने योग्य नहीं हैं। उनकी इस बातका यह अर्थ निकल सकता है कि हम स्वराज्यके लायक अभी नहीं बने हैं। ऐसी बातोंपर से यह अनुमान लगाना उचित न होगा कि श्री मॉर्लेसे भारतको कोई लाभ नहीं पहुँचेगा। श्री मॉर्लेके विचार साधारण आंग्ल-भारतीयोंके विचारोंसे मिलते-जुलते हैं। उनके इन विचारोंको बदलनेके लिए हम पूरा प्रयत्न करेंगे तभी कुछ फर्क हो सकता है। यह आशा रखना कि चूँकि उन्होंने आयरलैंडके लिए बहुत मेहनत की है, इसलिए हमारे लिए भी जरूर करेंगे, व्यर्थ प्रतीत होता है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १०-३-१९०६
 

२४६. नेटालमें अधिवासी-पास आदिके नये नियम

२७ फरवरीके 'नेटाल गवर्नमेंट गजट' में निम्नलिखित नियमावली प्रकाशित हुई है।

प्रवासी कानूनके अनुसार जिन लोगोंको प्रमाणपत्र इत्यादिकी जरूरत होगी उनसे नीचे लिखे अनुसार शुल्क लिया जायेगा :
पौं° शि° पॅ°
शुल्क-मुक्ति पत्र (एक्जेम्पशन सर्टिफिकेट) का यानी किसी व्यक्तिको उपनिवेशमें प्रविष्ट होनेकी विशेष अनुमतिका शुल्क
भाषा-ज्ञान प्रमाणपत्र शुल्क
अधिवासी प्रमाणपत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट) का
अभ्यागत पास (विजिटिंग पास) का
नौकारोहण या जहाजपर चढ़नेकी अनुमति (एम्बार्केशन पास) का
स्त्रीके लिए अलग पासका
नेटालमें होकर जानेके प्रमाणपत्रका

अगर ये कर जारी रहे, तो बहुत बुरा होगा। हमें आशा है कि नेटाल भारतीय कांग्रेस इस मामलेको तुरन्त हाथमें लेगी।

इस तरहका कर लगानेका विचार स्वर्गीय श्री हैरी एस्कम्बने किया था, पर कांग्रेसने सख्त लिखा-पढ़ी की, जिससे वह वापस ले लिया गया था।

नेटाल भिखारी बन गया है। इसलिए अब सरकार जहाँ-तहाँसे पैसा बटोरनेके लिए हाथ-पैर पटक रही है। सरकारने इन करोंको लगानेका नया रास्ता खोज निकाला है। यह अपने हाथसे अपने पैरों कुल्हाड़ी मारने जैसी बात हुई है। ट्रान्सवालमें रहनेवाले भारतीयोंको देश जानेके लिए नेटालका रास्ता आसान पड़ता है। उनके नेटाल होकर जानेसे सरकारी रेलवेकी आमदनी में वृद्धि होती है। अगर वे लोग डेलागोआ-बेके रास्ते जायें, तो नेटाल सरकारको उतना घाटा होनेकी सम्भावना है। हमें आशा है कि अगर इस तरहका दण्ड जारी रहा तो भारतीय मुसाफिर नेटाल रेलवेका बहिष्कार करेंगे और डेलागोआ-बेके रास्ते जाया करेंगे।