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२४३. नेटाल भारतीय कांग्रेस

नेटाल भारतीय कांग्रेस में बहुत फेरफार हुए हैं। श्री अब्दुल कादिर आठ साल तक कांग्रेसका सभापति पद सँभालनेके बाद देशको विदा हो गये हैं। उनकी मुरादें पूरी हों, और वे सही-सलामत वापस आयें, यही हमारी कामना है। भारतीयोंने श्री अब्दुल कादिरका अच्छा सम्मान किया। वह उनके योग्य ही था। उनका सम्मान करके कौमने अपना मान बढ़ाया है। कई वक्ताओंने श्री अब्दुल कादिरकी उदारतापर जोर दिया था और वह बिलकुल उचित था।[१] श्री अब्दुल कादिरने गम्भीरता और नम्रताके साथ कुर्सीकी प्रतिष्ठाका निर्वाह किया है। कांग्रेसको अच्छी बुनियादपर खड़ा करनेमें उनका पर्याप्त हाथ रहा है। इस सबके लिए उन सज्जनको जितना भी मान दिया जाये, थोड़ा ही होगा।

श्री अब्दुल कादिरके जानेके साथ ही श्री आदमजी मियाँखाँने भी अपना अवैतनिक संयुक्त मन्त्रीका पद छोड़ दिया। श्री आदमजी भारतीय व्यापारी-समाजमें जो बहुत थोड़े पढ़े-लिखे लोग हैं, उनमें से एक हैं। वे कांग्रेसकी स्थापनाके समयसे ही उसकी सेवामें हाथ बँटाते रहे हैं। सन् १८९६ में, जब हमारे लोगोंकी हालत बहुत गम्भीर थी, श्री आदमजीने बड़े चातुर्य, उत्साह और सौम्यताके साथ काम किया था। उनके जमाने में कांग्रेसके सदस्योंमें बड़ा उत्साह था। श्री आदमजीने थोडेसे समयके अन्दर १,००० पौंड इकट्ठा करनेमें मुख्य भाग लिया था। इतना ही नहीं, बल्कि राजनीतिक मामलों में भी उन्होंने उतनी ही लगनका परिचय दिया था। जब 'कूरलैंड' और 'नादरी' जहाजोंके खिलाफ डर्बनके लोगोंने प्रदर्शन[२] किया था, तब श्री आदमजीने धैर्य और दृढ़तासे काम लिया। बादमें जब स्वर्गीय श्री नाजरने और श्री खानने कांग्रेसके मन्त्रीका पद छोड़ा तब श्री उमर हाजी आमद झवेरीके साथ श्री आदमजी मियाँखाँ संयुक्त मन्त्री बनाये गये, और उस समयसे पिछले हफ्ते तक उन्होंने श्री झवेरीके साथ रहकर कांग्रेसकी सेवा की है। श्री आदमजीके पदत्यागका एक कारण उनकी अस्वस्थता है, और दूसरा सूरती भाइयोंको मौका देनेकी इच्छा है। श्री आदमजी मियाँखाँकी अस्वस्थताके लिए हमें खेद है और हम ईश्वरसे यह प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें तन्दुरुस्ती दे। श्री आदमजीके पदत्यागका दूसरा कारण उनके लिए अधिक गौरवास्पद है। उनकी एक ही इच्छा रही है कि देशका कल्याण हो।

श्री अब्दुल कादिरकी जगह श्री दाउद मुहम्मद सभापति नियुक्त हुए हैं, और श्री आदमजीकी जगह श्री मुहम्मद कासिम आंगलियाकी नियुक्ति की गई है। कांग्रेस भवनमें हुई विराट सभाने जोरके हर्षनादके साथ उनका स्वागत किया है। व्यापारी समाजमें विशेष भाग सूरतियोंका है। इसलिए इस बार दो सूरती सज्जनोंका एक साथ बड़े पदोंपर आना ठीक ही हुआ है। श्री अब्दुल कादिर और श्री आदमजी जैसे जागरूक लोगोंकी जगह सम्भालना मुश्किल काम है, लेकिन हमें उम्मीद है कि दोनों नये सज्जन अपना काम भली-भाँति सँभालेंगे।

श्री दाउद मुहम्मद शुरूसे ही कांग्रेसके मुख्य सदस्योंमें रहे हैं। उन्होंने कांग्रेसकी बहुत अच्छी सेवा की है। सबसे पहले कांग्रेस-मण्डलके अधिकारी बने थे। उनकी होशियारी किसीसे छिपी नहीं है। उनमें कई गुण हैं। यदि अपने इन सब गुणोंका उपयोग वे कांग्रेसकी सेवा में करेंगे, तो हमें विश्वास है कि उनके कारण कांग्रेसका तेज बढ़ेगा।

 
  1. देखिए "अभिनन्दन-पत्र : अब्दुल कादिरको", पृष्ठ २२६-७।
  2. १३ जनवरी, १८९७ को; देखिए खण्ड २, पृष्ठ १६६-७८।