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पत्र: छगनलाल गांधीको


'वतनियोंका विद्रोह' शीर्षक लेख तुमने पहले दिया। वैसा नहीं होना चाहिए था। क्योंकि उसे खबरोंके विभागमें आना चाहिए था। वतनियोंके विद्रोहका सवाल मैंने तुम्हें सौंपा है, इसलिए मैं उसपर ध्यान नहीं देता। किन्तु तुम्हें उसके सम्बन्धमें पूरा अध्ययन करना चाहिए। यदि तुम उसे टाँक लिया करो तो गुरुवारकी ताजीसे ताजी खबरोंका एक स्तम्भ या उससे अधिक दे सकते हो। उपर्युक्त नियमके अनुसार इस बार अग्रलेख "नेटाल भारतीय कांग्रेस" है। अन्तमें हमें गुजरातीकी अनुक्रमणिका देनी है।

हाजी सुलेमान शाह मुहम्मदका विज्ञापन हमें नहीं मिलेगा, इसलिए उसे निकाल देना। श्री गुलका आधा कर देना। उन्होंने आजिजीसे इसके लिए कहा है। उनकी स्थिति अभी अच्छी नहीं है। मुझे ऐसा दीखता है कि अब केप टाउनके बहुत-से विज्ञापन निकल जायेंगे। किन्तु उससे मैं तनिक भी नहीं घबराता। दूसरे मिलेंगे। मैं अपना प्रयास जारी ही रखता हूँ। श्री आइज़क इस महीनेमें वहाँ आ पहुँचेंगे। उनके लिए मेज-कुर्सी अपने कार्यालय में रखना।

मोहनदास के आशीर्वाद

[पुनश्च]

श्री अ° कादिरके भाषणका अनुवाद तुम करोगे, ऐसा मानकर मैंने नहीं किया। तुम कर लेना।

मूल गुजराती प्रतिकी फोटो नकल (एस° एन° ४३१४) से।

 

२३१. पत्र : छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग
मार्च ५, १९०६

चि° छगनलाल,

कल्याणदासके नाम तुम्हारा पत्र मैंने पढ़ लिया है। मुझे मालूम हुआ है कि आर० पीरखाँ नहीं चाहते कि अब, बहुत समय बीत जानेकी वजहसे कोई भी ऑर्डर पूरा किया जाये। मुझे सूचित करो कि ट्रान्सवालके किन-किन ऑर्डरोंको अभीतक पूरा नहीं किया गया। मुझे यह भी बताओ कि किन ऑर्डरोंकी दरोंमें, बाहर करवानेके कारण, हेर-फेर करना पड़ेगा और इन दरोंका अन्तर क्या होगा।

कुमारी नायफ़्लीस कल शाम मुझसे मिलीं। उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें पिछले अंकों समेत पहले हफ्तेका 'इंडियन ओपिनियन' का अंक मिल चुका है और अब कोई अंक नहीं मिल रहा है। तुम्हें याद होगा, मैंने एक भारतीय उपाहारगृहके मालिकका आर्डर तुम्हें भेजा था। उसी सम्बन्धमें एक तार किया है। मैंने तुमसे कहा था, आज या आजके पहले उसका इश्तहार उसे मिल जायेगा, ऐसा मैंने उससे वादा किया है। इसलिए उसने आज आकर पूछताछ की। जब मैं फीनिक्समें था तब तुमने इसकी चर्चा नहीं की और दफ्तरके नाम तुम्हारी कोई चिट्ठी भी मैंने नहीं देखी। मेरा खयाल है, मैंने अपने पत्रमें तुम्हें लिखा था कि अगर तुम वक्तपर वह काम न कर पाओ तो उसे लेना ही नहीं चाहिए। यदि तुमने अबतक तार न दे दिया हो तो सूचित करो कि क्या किया जाये। आज एक नाटकका इश्तहार भेजूंगा। मण्डली खेल अगले बुधवारको करेगी। स्वाभाविक है कि इश्तहार और कार्यक्रम उसे इसके पहले मिल जाये। इसलिए अगर यह