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२२१. जोहानिसबर्ग की चिट्ठी[१]

फरवरी २६, १९०६

ट्रामका मुकदमा'

आजकल जोहानिसबर्गमें भारतीयोंके बीच ट्रामकी चर्चा चल रही है। फोर्ड्सबर्ग में बहुत-से भारतीय रहते हैं; और फोर्ड्सबर्गसे मार्केट स्क्वेयर तक बिजलीकी ट्राम चलती है। इसलिए लोग सहज ही सवाल पूछते हैं कि भारतीय ट्राममें क्यों नहीं बैठ सकते। और काले लोगोंको ट्रामसे दूर रखना अधिकारियोंको भी मुश्किल जान पड़ रहा है। जोहानिसबर्गकी परिषदने जो विचार किये थे वे ठंडे पड़ गये हैं। और 'काले लोग इस ट्राममें बैठ सकते हैं', इस आशयकी तख्तियाँ लगी हुई ट्रामें चलाई जा रही। एक ओर गोरे यह जताते हैं कि उन्हें भारतीयोंके साथ बैठनेमें आपत्ति है और दूसरी ओर उक्त तख्तियोंवाली ट्रामोंमें काले लोगोंके साथ बहुतेरे गोरे भी बैठते दिखाई देते हैं। इस सम्बन्धमें श्री कुवाडियाके नामसे एक परीक्षात्मक मुकदमा चलानेकी तजवीज हो रही है। श्री कुवाडिया परीक्षात्मक मुकदमा बनानेके विचारसे श्री मैकिनटायरके साथ बिना तख्तीवाली ट्राममें बैठने गये थे। उन्हें एक ट्राममें बैठने दिया गया। दूसरी ट्राममें बैठते समय कंडक्टरने कहा कि अगर वे श्री मैकिनटायरके नौकर हैं, तो बैठ सकते हैं, लेकिन यदि एक साधारण नागरिकके नाते बैठना हो, तो बैठनेकी इजाजत नहीं मिलेगी। इस विषयपर अखबारोंमें भी चर्चा चल रही है। 'स्टार' अखबारमें श्री दारूवालाने जो लेख लिखा था, उसके विरुद्ध एक गोरेने कड़ा लेख लिखा। श्री दारूवालाने उसका माकूल जवाब दिया है। और दूसरे दो गोरोंने भी लिखा है। उनमें से एकने विरोधमें और दूसरेने पक्षमें लिखा है।

ट्रान्सवालके लिए उत्तरदायी शासन

ट्रान्सवालको जल्दी ही उत्तरदायी शासन प्राप्त हो जायेगा। इसके कारण अंग्रेज गोरोंमें खलबली मच रही है; क्योंकि, डर यह है कि, उत्तरदायी शासनाधिकार मिलनेसे डच लोगोंका बल बढ़ेगा, और इसके कारण खानवालोंको धक्का पहुँचेगा। इसके बावजूद सारे जोहानिसबर्ग में सब कहीं इमारतें बाँधनेके काम हो रहे हैं। इससे पता चलता है कि यहाँके लोगोंने अभी हार नहीं मानी है, बल्कि आशा लगाये हैं कि सम्पन्नता आयेगी। व्यापार बिलकुल मन्द है, वह और भी मन्द होगा। पहले वतनी लोग और डच लोग हर शनिवारको रुपये पैसेका भारी लेनदेन करते थे। डच लोग तो कंगाल बन गये हैं, और वतनी भी पहले जितने खुले हाथों पैसा खर्च करते थे, उतना अब नहीं करते।

लॉर्ड सेल्बोर्नको निवेदनपत्र

ब्रिटिश भारतीय संघने लॉर्ड सेल्बोर्नको अनुमतिपत्रों, ट्रामों और रेलगाड़ियोंके विषयमें लिखा है। लॉर्ड सेल्बोर्नने उसका जवाब अपने हस्ताक्षरोंसे निजी तौरपर दिया है। उन्होंने लिखा है। कि वे इन तीनों मामलोंकी पूरी जाँच करेंगे और फिर पत्र लिखेंगे। इससे यह आशा की जा सकती है कि लॉर्ड सेल्बोर्न कुछ-न-कुछ सुनवाई जरूर करेंगे।

 
  1. ये संवादपत्र "जोहानिसबर्ग संवाददाता द्वारा प्रेषित" रूपमें इंडियन ओपिनियनमें समय-समय पर प्रकाशित किये जाते थे।