पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 5.pdf/२३६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२१०. पत्र : छगनलाल गांधीको

[ जोहानिसबर्ग ]
रविवार, फरवरी १८, १९०६

चि० छगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिला । कल सामग्री भेजी है। आज भी भेज रहा हूँ। मैंने " जोहानिसबर्गकी चिट्ठी" भेजी है। उसमें “ रायटर के तारसे जान पड़ता है कि यहाँसे अलग शीर्षक देना । " रायटरके तार- समाचार - इस स्तम्भमें जितना बनेगा, उतना हर हफ्ते दूँगा । तुम उसमें और जोड़ सकते हो। " जोहानिसबर्गकी चिट्ठी " तो अलग ही दूँगा, और जहाँतक होगा उसमें केवल स्थानीय समाचार ही दूंगा। ऐसे पत्रोंके लिए मैंने दूसरी जगह भी लिखा है।

हेमचन्दको मैंने नहीं लिखा, यह ठीक हुआ । उसका वहीं पूरा उपयोग करना। और मैं भी उसे लिखूँगा । तुम्हारे नीचे एक आदमी चाहिए ही, और वह समझदार होना चाहिए। हेमचन्द कुछ बिगाड़े, तो उसकी फिक्र नहीं, किन्तु तुम उसपर जिम्मेदारी डालते रहना । अपने ऊपर बहुत बोझा पड़े तो हमें अपने कामोंमें पहले कौन-सा काम करना है, उसके बाद कौन-सा काम करना है - इस प्रकार विचार कर देखना चाहिए; फिर जितना बने उतना करना चाहिए। यदि ऐसा विचार करोगे, तो सब सरल हो जायेगा । तब, पहले तो तुम्हें गुजराती अखबार सुधारना है। वह तुम्हारा ही काम है। दूसरा है हिसाब, वह भी तुम्हें ही सँभालना है । तीसरा, वसूली; चौथा, फुटकर छपाईका काम (जॉब); पाँचवां, फिलहाल गुजराती [ टाइप ] केसोंको बन्द रखना, हालाँकि इसका खयाल हमेशा रखना है। उर्दू फिलहाल छोड़ देना । तुम्हें अपनी जमीनके लिए अमुक समय देना ही चाहिए। वसूली तथा दूसरा जो भी काम हो, उसके लिए तुम्हें दो दिनसे अधिक जाना ही नहीं है। फिलहाल पैसेकी आमदकी तरफ ध्यान नहीं देना है। हिसाब नियमित हो जानेपर ही दूसरा कुछ करनेका विचार करना है। गुरुवार प्रूफके लिए, तथा मंगल और बुध केवल अध्ययन करने और गुजराती लिखनेमें लगाओगे तो ठीक होगा। सोमवार तथा शुक्रवार या शनिवार गाँवमें जानेके लिए रखो, तो काम चल सकेगा। फिलहाल एकदम परगाँव न जा सको, तो चिन्ता नहीं। बाहरके अखबारोंमें से तुम थोड़ा अनुवाद करो, तो काम चलेगा । तुम्हें मुख्य खबरें नेटालकी देनी चाहिए। वे मेरे देखने में नहीं आतीं । वहाँकी स्थानीय खबरें आयेंगी तो ठीक होगा। यहाँकी ख़बरें और अखबारोंके अनुवाद मैं भेजता रहूँगा । विशेष खूबी सामग्रीके संयोजनमें है। बने तो केवल बुधवार ही अध्ययनमें लगाओ, तो भी काम चल जायेगा । मैं भूल रहा हूँ, तुम सोमवार दो तो अच्छा। क्योंकि सोमवारको जब टाइपका वितरण (डिस० )[१] हो तब तुम सामग्रीसे लैस हो सकते हो। ज्यादा कामसे बिलकुल घबराना नहीं है । तुमने सबके सामने अपनी बातें रख दीं, यह अच्छा किया। बिना माँगे माँ भी रोटी नहीं देती । उनसे कहोगे तो करेंगे । या,

छापाखानेकी जमीन साफ रखने और वह भी अपने ही हाथसे साफ करनेकी मैं बड़ी ही जरूरत समझता हूँ । छापाखाने समयके बाद भी यदि आधा घंटा दिया जाये, तो ठीक। यदि दूसरे समय न दें, तो तुम भाइयोंको ही देना है। हेमचन्द देगा, और उसे मैं लिखूंगा । वेस्ट भी देंगे। सैमसे और भी बात करके उसके गले उतारना । बीन रफ्ता रफ्ता ही इसे समझेंगे। यह काम तुरन्त शुरू होनेकी आवश्यकता मानता हूँ ।


  1. डिस्ट्रिब्यूशन, अर्थात् टाइप-अक्षरोंको उनके विभिन्न खानोंमें बाँटनेका काम