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२०६. 'लीडर' को जवाब

जोहानिसबर्ग
फरवरी १६, १९०६

सेवामें

सम्पादक

'लीडर'
महोदय,

मेरे देशबन्धुओं द्वारा ट्रामोंके उपयोगके प्रश्नपर मेरे संघने टाउन क्लार्कको जो पत्र[१] भेजा है उसके विषयमें आपने छोटा-सा अग्रलेख लिखा है । उसपर मैं चन्द बातें कहनेकी स्वतन्त्रता लेता हूँ । आपने क्रोधमें लिखा है और धमकियोंका प्रयोग किया है। मैं ये दोनों बातें नहीं कर सकता; परन्तु आपके सामने कुछ तथ्य रखनेकी धृष्टता करूँगा - आप चाहे उन्हें मानें, चाहे उनका निराकरण कर दें :

(१) मेरे संघने कभी दावा नहीं किया कि सब भारतीयोंको ट्राम गाड़ियोंका उपयोग करने देना चाहिए। इस अधिकारका दावा तो सिर्फ उन्हींके लिए किया गया है जो अच्छे और स्वच्छ वस्त्र पहनते हों।

(२) भारतमें जो भी स्थिति हो, मुझे आपके सामने यह प्रदर्शित करनेकी जरूरत नहीं कि कोई आदमी पैदाइशी “कुली" नहीं होता; और जहाँतक ट्राम गाड़ियोंके उपयोगका सवाल है, मुसाफिरोंकी वेशभूषा ही उसकी कसौटी हो सकती है ।

(३) ट्रामोंके प्रश्नपर दो जातियोंके बीच बराबरीका सवाल उठाना क्या आपको निर्रथक नहीं लगता ?

(४) मेरे संघने जोर देकर अस्वीकार किया है कि अत्यधिक सुसंस्कृत भारतीयोंसे भी अनिच्छुक यूरोपीयोंका, चाहे वे कोई हों, सम्पर्क स्थापित करानेका उसका कोई इरादा है; और इसीलिए उसने सुझाव रखा है कि गाड़ियोंका भीतरी भाग केवल यूरोपीयोंके लिए सुरक्षित कर दिया जाये। उसका दावा है कि जो भारतीय अच्छी पोशाक में हों, वे गाड़ियोंकी छतोंका उपयोग 'असमानता के पवित्र सिद्धान्तका उल्लंघन किये बिना, वाजिब तौरसे कर सकते हैं ।

(५) मेरे संघने सहनशीलताकी जो बात कही है वह बिलकुल तर्कसंगत है । जैसा कि मेरे संघको बताया गया है, “जनताकी इच्छा", जहाँतक वह कानूनके रूपमें परिणत की गई है, भारतीयोंको ट्रामगाड़ियोंपर चढ़नेके अधिकारका दावा करनेकी छूट देती है इसलिए यह दावा कानून सम्मत होनेके कारण " बेहूदा ” नहीं समझा जा सकता ।

इस बारे में क्या मैं आपसे कुछ सवाल पूछ सकता हूँ ? क्या ट्रान्सवालके गोरोंके लिए केप टाउन या नेटाल जाते ही रंगदार लोगोंके साथ ट्रामपर चढ़ना तर्कसम्मत हो जाता है ? क्या यह तर्कसंगत है कि रंगदार नौकर, जो “ऊँची जातियों" के न हों, इन शब्दोंका चाहे जो भी मतलब हो, ट्रामगाड़ियोंपर चढ़ें ? क्या यह तर्कसम्म्मत है, जैसा कि नगर परिषदकी बैठकमें श्री साउटरने कहा, कि टट्टू गाड़ियोंकी सवारी करनेवाले गोरे रंगदार कोचवानोंकी बगलमें बैठें ? १प


  1. १. देखिए "पत्र : टाउन क्लार्कको", पृष्ठ १९४-५ ।