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२०५. पत्र : कार्यवाहक मुख्य यातायात प्रबन्धकको

जोहानिसबर्ग
फरवरी १४, १९०६

[ सेवामें ]

कार्यवाहक मुख्य यातायात प्रबन्धक

जोहानिसबर्ग


महोदय,

श्री एम० एम० मूसाजीने मेरे संघको उस पत्र-व्यवहारकी प्रतिलिपियाँ दी हैं जो आपके विभाग और उनके बीचमें साढ़े आठ बजे जोहानिसबर्गसे रवाना होनेवाली गाड़ीके सम्बन्ध में हुआ है ।

आपने श्री मूसाजीको इत्तिला दी है कि "रंगदार यात्रियोंको साढ़े आठ बजे प्रिटोरियासे जोहानिसबर्ग जानेवाली गाड़ी से यात्रा करनेकी इजाजत नहीं है ।" और मेरा खयाल है, वापसी यात्रापर भी यही बात लागू होती है ।

इस इत्तिलासे मेरे संघको आश्चर्य भी हुआ है और दुःख भी । यह मनाही भारतीय व्यापारी समुदायके लिए अधिकारका ऐसा अपहरण है जिससे उसकी गतिविधिमें गम्भीर बाधा पड़ेगी। आम भारतीय समाजके लिए यह अत्यन्त अपमानजनक है।

मेरा संघ इस परिणामपर पहुँचे बिना नहीं रह सकता कि एक बड़े प्रशासन द्वारा स्थानीय लोगोंके द्वेषभावकी तृप्तिकी इस पद्धतिके फलस्वरूप रंगदार लोगोंकी स्थिति बिलकुल असहनीय हो जायेगी। यदि आप मुझे यह बतानेकी कृपा करेंगे कि क्या आपका इरादा यही है, तो मेरा संघ कृतज्ञ होगा, और यदि ऐसा हो तो क्या आप कृपया मुझे यह बतायेंगे कि यह रोक किस कानून या कायदेके मुताबिक लागू की गई है। प्रसंगवश मुझे यह कहनेकी इजाजत दी जाये कि जिस तरीकेसे समय- समयपर ऐसे प्रतिबन्धक नियम सम्बन्धित समाजके इस भागपर किसी चेतावनी या सूचनाके बिना लगा दिये जाते हैं उससे बहुत खीज और असुविधा होती है। मेरे संघका खयाल है कि ब्रिटिश भारतीयोंको उन कानून कायदोंकी जानकारी पहलेसे पानेका हक है जो उनके सम्बन्धमें बनाये जायें।

मैं उत्तर शीघ्र देनेकी प्रार्थना करता हूँ ।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
अब्दुल गनी

अध्यक्ष,

ब्रिटिश भारतीय संघ

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २४-२-१९०६