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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

नबीके बहुतेरे अनुयायियोंको दुःख होगा। किन्तु अविवेक लॉर्ड सेल्बोर्नके सार्वजनिक भाषणोंकी विशेषता नहीं है और यह कहना ही उचित होगा कि शायद यह उनके भाषणकी सही रिपोर्ट नहीं है। शायद "संभावना यह है" के बजाय उन्होंने कहा हो कि "यह संभव है"। अगर पिछली बात सही है तो उनका कथन बिलकुल आपत्तिजनक नहीं है। बहरहाल अभीतक यह समाचार हमें नहीं मिला है कि परमश्रेष्ठने अपने वक्तव्यमें संशोधन किया है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १०-२-१९०६

२०२. ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय

ऐसे समय, जब कि किसीको आशा नहीं थी कि श्री दादाभाई नौरोजीको हमारे मामलों- पर ध्यान देनेकी जरा भी फुरसत होगी, उन्होंने हमारे पक्षमें जो चिन्ता दिखाई है उससे हमारे ऊपर उनके अहसानोंका भार और भी बढ़ गया है। पिछली डाकसे 'इंडिया' का जो अंक आया है उसमें वह पत्र फिर प्रकाशित हुआ है जो भारत-मन्त्री और उपनिवेश मन्त्रीको एक साथ भेजा गया था। पत्रमें ब्रिटिश भारतीय संघके उस शिष्टमण्डलके' सम्बन्धमें विचार व्यक्त किये गये हैं जो कुछ समय पूर्व लॉर्ड सेल्बोर्नसे मिल चुका है। इससे हमें यह स्मरण हो आता है कि भारतका यह प्रहरी चुनावोंके भीषण संघर्षके बीचमें भी, दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भार- तीयोंके हितोंके सम्बन्धमें जागरूक रहा है। उन्होंने दोनों मन्त्रियोंको पत्र भेजनेके लिए चुनाव- परिणामोंकी घोषणाका इंतजार नहीं किया, बल्कि जो अत्यल्प अवकाश पाया उसका भी एक भाग ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा अपनाये गये रुखका औचित्य बतानेमें लगाया। भारतके इस महान देशभक्त ने अपने देशवासियोंकी हित-साधनाके लिए जो प्रयत्न किये हैं, हमारे लिए उनकी सराहनाका प्रयास करना व्यर्थ है, परन्तु हम दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंसे अनुरोध करते हैं कि वे श्री दादाभाईके कार्य में सहायक होकर अपना तात्कालिक कर्त्तव्य पूरा करें। इसके लिए अपने संगठनकी त्रुटियाँ दूर करके वे अपनी उद्योग और एकताकी भावनाका और भी अधिक विकास करें, जिसके बिना श्री दादाभाईका समस्त कार्य ही विफल हो जायेगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १०-२-१९०६

१. देखिए "शिष्टमण्डल : लॉर्ड सेल्बोर्नकी सेवामें ", पृष्ठ १५०-५८ । Gandhi Heritage Portal