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१८१. हिन्दू-मुसलमानोंके बीच समझौता

श्री हाजी हबीबने इस विषयपर हमें एक पत्र लिखा है। उसे हम अन्यत्र प्रकाशित कर रहे हैं। कराचीके महाजनोंके बारेमें उन्होंने जो-कुछ लिखा है वह यदि सही हो तो हमें खेद है। हम यह भी मानते हैं कि हिन्दुओंकी संख्या बड़ी होनेके कारण उन्हें अधिक नम्रतासे चलना है। श्री हाजी हबीबका कहना है कि अगर हिन्दू-मुसलमानोंके बीच एकता रही होती तो भारतीय कांग्रेस जिन-जिन अधिकारोंको माँगती है वे कभीके प्राप्त हो गये होते। यह हम भी मानते हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि ऐसी बातोंमें सब कौमोंके मुखियोंको मिलकर कोई समझौता कर लेना चाहिए। और हमें ऐसे आसार भी नजर आ रहे हैं कि कुछ समयमें ऐसा होकर रहेगा।

फिर भी हम जो-कुछ इससे पहले कह गये हैं उस बातपर तो हमें जोर देना चाहिए। वह बात यह है कि दोनों कौमोंके बीच, चाहे जैसा झगड़ा हो, उसका इन्साफ तीसरेके हाथमें नहीं जाना चाहिए। भाई-भाई आपसमें लड़ मरें, यह बर्दाश्त करना ज्यादा आसान है। लेकिन दोनोंके पास जो कुछ हो वह तीसरा व्यक्ति ले जाये, यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हम सबकी भावना इसी तरहकी होनी चाहिए। जैसाकि जनाब रसूलने बताया है, तीसरे आदमीके बीचमें पड़नेसे झगड़नेवालोंमें से किसीको भी फायदा होना सम्भव नहीं है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २३-१२-१९०५


१८२. ईश्वरकी लीला अद्भुत है।[१]

एक रोचक कहानी

बड़े दिनके अवसरपर तमाम यूरोपमें तरह-तरहकी पुस्तिकाएँ प्रकाशित होती हैं। उनमें बहुतसी जानने योग्य बातें होती हैं। इंग्लैंडके प्रख्यात श्री स्टेडने जो पुस्तिका प्रकाशित की है उसमें उन्होंने काउंट टॉल्सटॉयका जीवन-वृतान्त दिया है। हम इस पत्रमें काउंट टॉल्सटॉयका परिचय दे ही चुके हैं। वे यद्यपि लखपती हैं, फिर भी अत्यन्त गरीबीकी हालतमें रहते हैं। संसारमें उन जैसे विद्वान बहुत कम हैं। उन्होंने जो कुछ लिखा है, यह बतानेके लिए कि मनुष्योंका

१.३०-१२-१९०५ के अंकमें।

२. श्री हाजी हबीवने शिकायत की थी कि हिन्दू व्यापारियोंने मुसलमान व्यापारियोंके लिए गो-रक्षा- निधिमें चन्दा देना अनिवार्य कर दिया है।

३. "मराठा"में प्रकाशित समाचारके अनुसार, श्री ए. रसूलने मुसलमानोंकी एक आम सभाकी अध्यक्षता करते हुए बंगालके हिन्दुओं और मुसलमानोंसे अपील की थी कि वे बंग-भंग और स्वदेशी-आन्दोलन सहित सभी प्रश्नोंपर एक हो जायें।

४. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी अनुवाद -टॉलस्टॉय शताब्दी स्मारक ग्रन्थ (टल्स्टोय सैंटिनरी एडिशन) में इस कहानीका शीर्षक " गॉड सीज दि टूथ, बट वेट्स” दिया गया है।

५. देखिए "काउंट टॉलस्टॉय", पृष्ठ ५९-६०।

  1. ४.