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१७३. मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेल प्रणाली और यात्री

ट्रान्सवाल सरकारके इस महीनेकी ८ तारीखके 'गज़ट' में, मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेल प्रणाली (सेंट्रल साउथ आफ्रिकन रेलवे) में यात्रियोंके यातायातको नियन्त्रित करनेके लिए एक उपनियम प्रकाशित हुआ है। यह उपनियम लॉर्ड सेल्बोर्नकी उस जाँचका परिणाम है जो कि उन्होंने 'रैंड पायोनियर्स" और, कुछ महीने हुए, रंगदार लोगोंके एक शिष्टमण्डलकी शिकायतपर की थी। यह उपनियम शुद्ध अवैयक्तिक है और जाहिरा तौरपर सर्वथा निर्दोष प्रतीत होता है। यह कहता है:

यात्रियोंको चाहिए कि वे, किस डिब्बेमें यात्रा करें या किस जगहपर बैठे, इस बारे में स्टेशन मास्टर, गार्ड या अन्य सरकारी अधिकारियों द्वारा दी गई हिदायतोंको माने और यदि ऐसा कोई अधिकारी किसी व्यक्तिको किसी डिब्बे या स्थानको रिक्त करनेके लिए कहे तो उसे वहाँसे चला जाना चाहिए। यदि परिस्थितिवश किसी यात्रीको उससे निचले दर्जे के डिब्बेमें यात्रा करनी पड़ जाये, जिसका कि उसके पास टिकट हो, तो यातायात- प्रबन्धकसे प्रार्थना करनेपर किरायमें जो अन्तर होगा वह उसे रेलवे विभाग द्वारा वापस कर दिया जायेगा।

इस उपनियमका पालन करनेसे इनकार करनेपर चालीस शिलिंग तक जुर्माने और सात दिन तक कैदकी सजा दी जा सकती है। रेल प्रणाली अधिकारियोंको ये सब अधिकार सदासे प्राप्त थे, परन्तु उपनियम वास्तविकतापर जोर देता है। प्रतीत होता है कि इस उपनियमके व्यावहारिक परिणामस्वरूप रंगदार यात्रियोंके पास जिस दर्जे के टिकट होंगे उन्हें उससे निचले दर्जेके डिब्बेमें यात्रा करनेको बाध्य होना पड़ सकता है। इस नियमके पालनका परिणाम किसी दुष्टताके रूपमें प्रकट होगा या नहीं, यह बहुत कुछ उन लोगोंपर निर्भर करेगा जिन्हें यात्राओंका नियन्त्रण करनेका अधिकार सौंपा जायेगा; और यदि असुविधा और दुर्व्यवहारको टालना है तो बहुत बड़ी चतुराईसे काम लेना पड़ेगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १६-१२-१९०५




१. ट्रान्सवालमें बसे हुए अनुदार डच लोग।