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वंदेमातरम् : बंगालका शौर्यमय गीत

विचार उत्तम हैं। दूसरे राष्ट्रोंके गीतोंमें अन्य राष्ट्रोंके बारेमें खराब विचार होते हैं। इस गीतमें ऐसी कोई बात नहीं है। इस गीतका मुख्य हेतु सिर्फ स्वदेशाभिमान पैदा करना है। इसमें भारतको माताका रूप देकर उसका स्तवन किया गया है। जिस प्रकार हम अपनी माँमें सभी गुणोंका भाव मानते हैं उसी प्रकार कविने भारत मातामें सभी गुण माने हैं। जिस प्रकार हम माँको श्रद्धापूर्वक पूजते हैं उसी प्रकार इस गीतमें भारत माताकी प्रार्थना की गई है। इसमें अधिकतर शब्द संस्कृतके हैं, किन्तु सरल हैं। भाषा बंगला है; परन्तु वह भी सरल ही रखी गई है। इसलिए इस गीतको सभी समझ सकते हैं। यह गीत इतने उच्च कोटिका है कि हम उसके शब्दोंको ज्यों-का-त्यों गुजराती में दे रहे हैं और साथ ही हिन्दी विभाग में भी।

[गुजरातीसे]

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयज शीतलां,
शस्यश्यामलां मातरम् — वन्दे मातरम् १
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुरभाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् — वन्दे मातरम् २
सप्तकोटि[१] कंठकलकलनिनादकराले
द्विसप्तकोटि[१] भुजैर्धृतखरकरवाले
के बोले मा तुमि अबले?
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदल-वारिणीं मातरम् — वन्दे मातरम् ३
तुमि विद्या, तुमि धर्म, तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे!
बाहुते तुमि मा शक्ति! हृदये तुमि मा भक्ति!
तोमारई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे मन्दिरे — वन्दे मातरम् ४
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्!
नमामि कमलां अमलां अतुलां,
सुजलां सुफलां मातरम् — वन्दे मातरम् ५
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां,
धरणीं, भरणीं मातरम्
वन्दे मातरम्

[हिन्दी विभागसे उद्धृत]
इंडियन ओपिनियन, २-१२-१९०५