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१४३. तार[१]: सम्राटको

[जोहानिसबर्ग]

नवम्बर ९,१९०५ से पूर्व

ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय कृपालु महामहिमका उनके पैसठवें जन्मदिनके उपलक्षमें विनम्रतापूर्वक अभिनन्दन करते हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ११-११-१९०५

१४४. सम्राट चिरजीवी हों!

गुरुवार ९ तारीखको महामहिम सम्राटका पैसठवाँ जन्मदिवस था। उस दिन उनके विशाल साम्राज्यके सब भागोंसे उनकी सेवामें राजभक्तिपूर्ण बधाइयाँ अर्पित की गईं। आधुनिक युगका कोई राजा अपनी प्रजाओंके प्रेम और प्रशंसाका इतना बड़ा अधिकारी नहीं बन सका जितने कि सम्राट एडवर्ड हैं। वे जब सिंहासनारूढ़ हुए तब उनकी स्थिति अत्यन्त कठिन थी, क्योंकि वे महान् विक्टो- रियाके उत्तराधिकारी हुए थे; परन्तु अपने राजत्वके स्वल्पकालमें ही उन्होंने उन परम्पराओंको कार्यान्वित किया जिन्हें वह उदात्त महारानी छोड़ गई थी; और उन्होंने सिद्ध कर दिया है कि वैधानिक प्रणालीसे शासित देशमें भी राजाके लिए अपनी प्रजाकी सेवा करनेके अनेक अवसर आते रहते है; परन्तु ऐसा वही कर सकता है जिसमें, महामहिमके समान, अपनी उच्च स्थितिके सही ज्ञानके साथ-साथ असाधारण योग्यता भी हो। ठीक निर्णय कर सकनेकी अपनी शक्ति और कुशलताके द्वारा उन्होंने संसारमें शान्तिकी स्थापना करने और ब्रिटिश साम्राज्यको समृद्ध बनानेमें बहुत बड़ा योग दिया है। वे संसार-भरमें अपनी प्रजाके प्रेम-भाजन बन गये हैं, क्योंकि सबके स्वामी होते हुए भी उन्होंने अपने-आपको सबका सेवक बनाया है। संसारके समस्त इतिहासमें अन्य कोई राजसिंहासन जनताके हृदयोंमें इतनी दृढ़तासे प्रतिष्ठित नहीं हुआ जितना कि हमारे वर्तमान सम्राटका। ब्रिटिश भारतीय उनकी प्रजाओंमें सबसे निम्न होते हुए भी अपनी निष्ठा और भक्तिमें किसीसे भी कम नहीं हैं। उनकी हादिक प्रार्थना है कि सम्राट चिरजीवी हों और उस सिंहासनको और भी द्युतिमान बनायें।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ११-११-१९०५


१. यह तार टान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघने उपनिवेश-सचिव द्वारा भेजा था।

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