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और सबसे बड़ी घटना" मानी जायेगी। जापानकी महानताका श्रेय उन्होंने उसके द्वारा शिक्षा-सम्बन्धी शिक्षा-सम्बन्धी आदेशोंके निष्ठापूर्ण पालन और सेनाके आचारको दिया।

यह खण्ड उस विस्तृत भूमिकाको प्रस्तुत करता है जिसमें गांधीजीने वानप्रस्थ जीवन अपनाया और वे मानव-समाजके ऐसे मार्गदर्शकके रूपमें प्रकट हुए जिसे इस बातकी प्रतीति हो गई थी कि "किसी नये तत्त्वका आविर्भाव हुआ है।" यह तत्त्व था—सत्याग्रह; संवैधानिक आन्दोलनका पूर्ण संतोष प्रदान करनेवाला निर्मल विकल्प।