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१११६. पाँचेफस्टूमके भारतीयोंका वक्तव्य[१]

[पाँचेफस्ट्रम

अक्टूबर ९, १९०५ से पूर्व]

परमश्रेष्ठकी सेवामें निवेदन है कि,

यदि हमें यह पता न होता कि तथाकथित एशियाई-विरोधी पहरेदार संघकी ओरसे आपकी सेवामें, विशेषतः पॉचेफस्ट्रमके ब्रिटिश भारतीयोंके सम्बन्धमें, प्रार्थनापत्र पेश किया जायेगा तो हम परमश्रेष्ठको किसी भी प्रकारका कष्ट न देते; विशेषतः इस कारण कि हम जानते हैं कि परम- श्रेष्ठ शीघ्र ही जोहानिसबर्गमें ब्रिटिश भारतीय संघके एक शिष्टमण्डलसे मिलनेवाले हैं।

श्री लवडेने कहा है कि पॉचेफस्ट्रममें नेटालसे गिरमिटिया भारतीय उमड़े चले आ रहे हैं। इसका हम प्रबल प्रतिवाद करना चाहते हैं। हममें से कुछ लोग नेटालके कानूनसे परिचित है, और हम जानते हैं कि किसी भी गिरमिटिया भारतीयके लिए बच कर आना प्राय: असम्भव है। कुछ भी हो, इस बयानको सच्चा सिद्ध करनेके लिए अभीतक एक भी उदाहरण नहीं दिया गया है।

जोहानिसबर्गके महापौरने, जब वे यहाँ थे, एक और बात कही थी। उन्होंने कहा बताते है कि जहाँ एशियाइयोंको युद्धसे पहले व्यापारियोंके उन्नीस परवाने दिये गये थे, वहाँ अब उनको छियानवे परवाने व्यापारियोंके और सैंतीस फेरीवालोंके प्राप्त है। जहाँतक व्यापारियोंका सम्बन्ध है, यह कथन सत्य नहीं है। हमने युद्धसे पहले ब्रिटिश एजेंटको पाँचेफस्ट्रम नगरके ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंकी एक सूची दी थी, और तब इस नगरमें ब्रिटिश भारतीयोंकी बाईस दूकानें थीं। जिलेके अन्य स्थानोंमें जो दूकानें थीं सो अलग। ब्रिटिश एजेंटको जो सूची दी गई थी उसकी नकल हमारे पास है और हम आज भी न केवल उनके नाम बता सकते हैं, बल्कि प्रत्येकका पता भी दे सकते है। श्री गाँश युद्धसे पहलेके उन्नीस परवानोंके सिलसिलेमें अब व्यापारियोंके छियानवे परवानोंका जिक्र करते हैं। हम समझते हैं कि उनका मतलब यह है कि ये छियानवे परवाने पॉचेफस्ट्रम नगरके ही हैं। यदि ऐसी बात हो तो यह सर्वथा असत्य है। आज इस नगरमें ब्रिटिश भारतीयोंकी केवल चौबीस दुकानें हैं। हम यह बात पूरी जिम्मेदारी और जानकारीके साथ कह रहे हैं, और अपने निन्दकोंको इसे अन्यथा सिद्ध करनेकी चुनौती देते हैं।

तीसरी बात जो पाँचेफस्ट्रममें हमारे विरुद्ध कही गई है वह यह है कि हमारे मकान और दूकान गन्दे रहते हैं। यों तो इनकी हालत देखनेसे अपने आप मालूम हो जाता है, परन्तु जब यह आक्षेप किया गया तब हमने अपनी जगहें पाँचेफस्ट्रमके जिला-सर्जनको दिखलाई थीं और उसने यह रिपोर्ट दी थी:

मुझे यह कहते खुशी होती है कि विभिन्न अहातोंको देखनेपर, मेरे मनपर हर जगहका बहुत अच्छा असर पड़ा। मैंने अन्दरसे और बाहरसे भी देखा है। कुल बातोंका खयाल करते हुए, पीछेके आँगन बिलकुल साफ और स्वास्थ्यकर हैं। मैंने कूड़े के ढेर लगे नहीं

१. यह पोंचेफस्टम भारतीय संघके मन्त्री श्री अब्दुल रहमानने लॉर्ड सेल्बोर्नको मानपत्र देने के बाद पढ़कर सुनाया था।

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