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पत्र: छगनलाल गांधीको

कालाभाईने मुझे लिखा है कि वे हर महीने ३ पौंड देंगे। बसन्त पण्डितके बारेमें अखबारमें सूचना दे देना। क्या होता है, इसकी जानकारी मिलती ही नहीं।

मोहनदासके आशीर्वाद

[पुनश्च]

तुम अभी 'गजट' की सभी सूचनाएँ नहीं दे रहे हो। इस बारके 'गज़टमें' १७०५ पृष्ठपर बहुत-सी सूचनाएं हैं। सरसरी निगाहसे देखनेमें इतने लोगोंके बारेमें सूचनाएँ निकली हैं : (१) ऐय्यर (२) रामस्वरूप (३) बोघा (४) गीसीआवन (५) पारम (६) हुसैन आमद (७) रांदेरी। सारी सूचनाएँ तीनों भाषाओंमें आनी चाहिए; इसलिए अबसे 'गजट बराबर देखते रहना। हेमचन्दको इसमें से कुछ काम सौंपा जा सकता है।

वहाँके सरनामा-छपे छोटे लिफाफे भेजना।

मोहनदास

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजरातीकी फोटो-नकल (एस० एन० ४२५६) से ।

१०७. पत्र: छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग

अक्टूबर ६, १९०५

चि० छगनलाल,

वीरजीकी चिट्ठी तुम्हारी जानकारीके लिए नत्थी कर रहा हूँ। इसे वापस मेरे पास भेज देना। तुमने अपनी एक चिट्ठी में जो घटना लिखी थी, मैं उसको उसीके सम्बन्धमें लिख रहा हूँ। तुम सारी बात उससे कर लेना। मैं उसे यह भी लिख रहा हूँ कि मैंने अपने नाम लिखा उसका पत्र तुम्हें भेज दिया है। उसका यह पत्र, मेरे जिस पत्रका उत्तर है उसमें मैंने लिख दिया था कि अगर वह तुमको सन्तुष्ट नहीं कर सका तो मैं इस वर्षके बाद उसको नहीं रख सकूँगा।

तुम यह किसलिए कहते हो कि आनन्दलालको जो २० पौंड दिये गये, वे पानीमें गये? अगर बात ऐसी थी तो तुम्हें आनन्दलालसे कहना उचित था। तुम्हारे पिछले पत्रसे मुझे मालूम हुआ कि वह तुमसे ३० पौंड शहरमें कुछ सामान खरीदनेके लिए लेना चाहता था और टोंगाटसे खरीदनेका इरादा छोड़ चुका था।

देसाईका पत्र वापस भेज रहा हूँ। गलती जब तुम्हें मिल गई थी तब मेरे पास पत्र भेजनेकी आवश्यकता नहीं थी।

तुम्हारा शुभचिन्तक,

मो० क० गांधी

नत्थी'
श्री छगनलाल खुशालचन्द गांधी
मारफत 'इंडियन ओपिनियन
फीनिक्स

मूल अंग्रेजीकी फोटो-नकल (एस० एन० ४२५७) से।

१, २ और ३. ये उपलब्ध नहीं है।