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पत्र: छयानलाल गांधीको

इसके साथ सुमार लतीफका पत्र भेज रहा हूँ। उसपर जो लिखना हो लिखकर मुझे भेज देना।

मोहनदास

[पुनश्च]

आज मैंने शेख मेहताबकी' लिखी पुस्तक देखी। उसके सम्बन्धमें 'इंडियन ओपिनियन 'में कोई टिप्पणी न दें।

मोहनदास

[पुनश्च]

गुजराती सामग्री भेज रहा हूँ। वहाँ दो जीवनियाँ इकट्ठी हो गई है इसलिए इस बार नहीं भेजता।

मोहनदासके आशीर्वाद

मूल गुजरातीकी फोटो-नकल (एस० एन० ४२५४) से।

१०५. पत्र: छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग

अक्टूबर २,१९०५

प्रिय छगनलाल,

मुझे श्री किचिनने सूचित किया है कि तुम लोगोंने अपनी एक बैठकमें, सर्वसम्मतिसे, हेमचन्दको बर्खास्त करनेका निर्णय किया है। जब हेमचन्दने मुझे लिखा कि उसे बर्खास्तगीकी सूचना मिली है तब मैंने तुरन्त उसे आश्वासन दिया कि सूचना वापस ले ली जायेगी, और मैंने श्री किचिन और छगनलालसे पत्र-व्यवहार शुरू कर दिया। जब हेमचन्द कामपर रखा गया था, तब मेरी उससे कुछ बातचीत हुई थी, और मैंने कहा था कि उसको प्रेसके कामोंका प्रशिक्षण दिया जायेगा, और जबतक उसका व्यवहार और काम अच्छा रहेगा, उसे अपने- आपको स्थायी कर्मचारी ही समझना चाहिए। मैं हेमचन्दको अच्छी तरह जानता हूँ, और उससे भी अच्छी तरह उसके परिवारको। मैं उसे अच्छा और उपयोगी कर्मचारी मानता हूँ। अगर छापेखानेको कठिन परिस्थितियोंमें होकर गुजरना पड़ा तो वह उसका साथ न छोड़ेगा।

लेकिन, इसके अलावा, जब मुझे हेमचन्दकी बर्खास्तगीकी बात मालूम हुई तब मैंने अनु- भव किया कि मेरा वचन दाँवपर लगा है। इसी कारण मैंने उसे यह आश्वासन दिया था।

क्या मैं तुम लोगोंसे कह सकता हूँ कि मैं अब जो कुछ कह रहा हूँ उसको खयालमें रखते हुए तुम उसकी बर्खास्तगीके सम्बन्धमें अपने फैसलेको वापस लेकर मेरे आश्वासनकी पुष्टि करो? यदि भविष्यमें ऐसे सभी मामलोंमें किसी अन्तिम निर्णयपर पहुँचनेके पूर्व मेरी सलाह ले लेनेका खयाल रखा जायेगा तो मैं इस बातको बहुत पसन्द करूँगा।

तुम्हारा शुभचिन्तक,

मो० क० गांधी

१. स्कूलमें गांधीजीके एक साथी । देखिए आत्मकथा भाग १, अध्याय ६ और ७।