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८६. चीनी और भारतीय : एक तुलना

जोहानिसबर्ग में बहुत-से चीनी रहते हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि उनकी माली हालत भारतीयोंकी अपेक्षा अच्छी है। उनमेंसे अधिकतर तो कारीगर हैं। मुझे उनका रहन-सहन देखनेका अवसर कुछ दिन पहले मिला था। उसे देखकर और उससे अपने लोगोंके रहन-सहनकी तुलना करके मुझे खेद हुआ।

उन लोगोंने सार्वजनिक कामके लिए चीनी संघकी स्थापना की है। उसके लिए उनके पास एक बड़ा हाल है। उस हालको साफ-सुथरा और सुन्दर रखा जाता है। वह पक्की ईंटोंका बना हुआ है। वे लोग इसका खर्च, एक बड़ी किरायेकी जमीनको दुबारा किरायेपर उठाकर निकालते हैं। चीनियोंके लिए रहने आदिकी सुविधा न होनेके कारण उन्होंने 'कैंटनी क्लब कायम किया है। वह मिलनेकी जगहका, रहनेकी जगह्का तथा पुस्तकालयका काम देता है। इस क्लबके लिए उन्होंने लम्बे पट्टेपर जमीन ली है और उसपर एक पक्का दुमंजिला मकान बनाया है। इसमें सब लोग बड़ी स्वच्छतासे रहते हैं। वे जगहका लोभ नहीं करते। और बाहरसे तथा भीतरसे देखनेपर ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई बढ़िया यूरोपीय क्लब हो। उसमें बैठनेका कमरा, भोजनका कमरा, सभा करनेका कमरा, कमेटीका कमरा, मन्त्रीका कमरा और पुस्तकालयका कमरा इत्यादि जुदा-जुदा रखे गये हैं जिनका वे दूसरे कामोंके लिए उपयोग नहीं करते। इन कमरोंसे लगे हुए जो कमरे हैं, वे सोनेके लिए किरायेपर दिये जाते हैं। वह जगह ऐसी साफ और अच्छी है कि कोई भी आगन्तुक चीनी सज्जन वहाँ टिकाया जा सकता है। उन्होंने क्लबका प्रवेश शुल्क ५ पौंड रखा है और वार्षिक शुल्क व्यक्तिके रोजगारके अनुसार होता है। इस क्लबमें लगभग १५० सदस्य हैं। वे हर रविवारको मिलते हैं और वहाँ खेलते-कूदते हैं। अन्य दिनोंमें भी सदस्य उसका उपयोग कर सकते हैं।

हम लोग ऐसी कोई भी संस्था नहीं दिखा सकते। किसी भी अजनबी भारतीयके ठहरने योग्य स्वतन्त्र जगह सारे दक्षिण आफ्रिकाके किसी शहरमें नहीं है। हमारी मेहमानदारी अवश्य अच्छी है, फिर भी वह सीमित होती है। अगर एक क्लब जैसी कोई जगह हो तो उसके कई अच्छे उपयोग किये जा सकते हैं। एक-दूसरेके घर अपना समय बितानेके बदले लोग यदि सार्वजनिक स्थानपर समय बिता सकें तो उससे बहुत लाभ होता है। किसी एक व्यक्तिके ऊपर बोझ नहीं पड़ता। मैत्री-सम्बन्ध बढ़ सकता है और इससे हमारी प्रतिष्ठामें वृद्धि होती है। स्वच्छता-सम्बन्धी नियमोंका भी पालन किया जा सकता है। यह काम बहुत कम खर्चमें किया जा सकता है और यह आवश्यक है, इसमें कोई सन्देह नहीं।

चीनियोंने जो क्लब स्थापित किया है वह बिलकुल ही सबक लेने योग्य और अनुकरणीय है। हमपर गन्देपनका जो आरोप है, वह बिलकुल अकारण नहीं है। इस प्रकारके क्लबकी स्थापना करना उस आरोपको मिटानेका एक अच्छा उपाय है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १६-९-१९०५

१. यह “ हमारे जोहानिसबर्ग-संवाददाता द्वारा प्रेषित" रूपमें छपा था ।