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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं आपसे कहूँगा कि आप शास्त्रोंकी बातपर भी ध्यान न दें। महात्माजीने अपनी देखरेखमें रहनेवाली कुछ लड़कियोंका उदाहरण देते हुए बताया कि हालाँकि इनमें से कुछकी उम्र सत्रहसे बीस वर्षकी है, लेकिन अभीतक इन लड़कियोंके मनमें विवाहका खयाल भी नहीं आया है। इसके विपरीत कुछ लड़कियाँ अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और इस समय उनमें से कुछ-एक गुजरातमें बाढ़ पीड़ितोंकी सहायताका काम कर रही हैं। मैंने भी यह निश्चय कर लिया है कि जबतक ये लड़कियाँ मुझसे नहीं कहती कि वे शादी करना चाहती हैं तबतक में उनके विवाहके बारेमें नहीं सोचूंगा। लेकिन मैं आपसे कहूँगा कि यदि आप खादीको अपना लें तो ये सब बुराइयाँ खत्म हो जायेंगी। क्योंकि खादीकी भावना आपको शुद्ध और उदात्त बनायेगी। आपको ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि आप जो थोड़ा-सा सूत कातेंगी, इससे क्या बनता है। आपको तो यह सोचना चाहिए कि थोड़े-से सूतसे भी देशके धनमें वृद्धि होगी। इस बातको ध्यान में रखते हुए मैं चाहूँगा कि आप सब दरिद्रनारायणके लिए खादोको अपनायें और सूत कातें ।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, ३-१०-१९२७

४४. भाषण : तिरुमंगलम् में

३० सितम्बर, १९२७

मित्रो,

मुझे अभिनन्दनपत्र और थैली भेंट करनेके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। अपने अभिनन्दनपत्रमें आपने बताया है कि यह स्थान कपासके केन्द्रोंमें से एक है। आप कहते हैं कि यहाँ बहुत-से गरीब कातनेवाले हैं और अगर पर्याप्त प्रोत्साहन मिल जाये तो करीब १००० चरखे चलाना सम्भव है। निस्सन्देह कताई आन्दोलन ऐसी प्रत्येक स्त्रीको काम देनेकी दृष्टिसे चलाया गया है जिसके पास खाली समय है और जो काम करके चंद पैसे कमाना चाहती है। आपने मुझसे कहा कि इस सारे सूतके लिए जो एक दर्जन व्यक्तियों द्वारा तैयार किया जा सकता है, बाजार ढूंढ़ना आपके लिए सम्भव नहीं है। इससे यह जाहिर होता है कि आपके यहाँ या आपके ताल्लुकेमें पर्याप्त कार्य- कर्ता नहीं हैं। आपने मुझसे कहा है कि मैं इस स्थानको दूसरा तिरुपुर बनानेके लिए प्रयत्न करूँ। लेकिन मैं आपको यह बता दूँ कि तिरुपुर जो-कुछ बना है वह अपने परिश्रमसे बना है। तिरुपुर जिस रूपमें आज है वह रूप उसे मैंने या अखिल भारतीय चरखा संघके किसी सदस्यने नहीं दिया है। बेशक यह सच है कि अ० मा० च० संघ यहाँके आरम्भिक कार्यकर्त्ताओंके कामके फलका लाभ उठानेके लिए आ पहुँचा है। यह एक जरूरी कार्य है जिसे यूनियन बोर्ड कर सकता है, और उसे करना भी चाहिए