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पत्र : मीराबहनको

शायद अब आप समझ जायेंगे कि मैं आपकी सिफारिशकी ताईद क्यों नहीं कर सकता। इसके मतलब यह नहीं हैं कि आप आजसे बुनाईका काम छोड़ दें। आपको मेरे प्रोत्सा- हनकी जरूरत नहीं है। लेकिन मैं यह कहनेका साहस करता हूँ कि यह खुद आपके हितमें नहीं है कि जिस आन्दोलनको आज मैं विनम्रतापूर्वक संचालित कर रहा हूँ उस आन्दोलनके साथ मिलके सूतकी बुनाईको भी मिला देनेके लिए आप मुझसे कहें। और यह आपके हितमें भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है कि आप इस आन्दोलनका समर्थन करें ताकि जब यह समृद्ध, सुदृढ़ और स्थायी बन जाये तो आपमेंसे हरेकको सम्मानजनक जीविका मिल सके। इसलिए मैं आपसे कहूँगा कि यदि यह हाथ- कताईका आन्दोलन गति पकड़ता गया तो सम्भव है कि यह आपके लिए सहायक सिद्ध होगा।

लेकिन अब इस गड़बड़ीके[१] बीच मुझे अपना भाषण लम्बा नहीं करना चाहिए, लेकिन मैं आपका ध्यान मद्यपानकी बुराईकी तरफ खींचे बगैर नहीं रह सकता। जैसा कि मुझे मालूम हुआ है, इस बुराईके कारण आपके समाजकी शक्तिका दिन-दिन क्षय हो रहा है। आपको इस बुराईसे मुक्त होनेके लिए जबर्दस्त प्रयास करना चाहिए।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १-१०-१९२७

४१. पत्र: मीराबहनको

३० सितम्बर, १९२७

चि० मीरा,

डाक आने ही वाली है लेकिन डाक निकलनेका समय भी हो रहा है। आज मुझे तुम्हारा पत्र मिलनेकी पूरी आशा है। यह मत सोचो कि तुम्हें सप्ताह में एक बारसे अधिक नहीं लिखना चाहिए।

सप्रेम,

तुम्हारा,
बापू

रामदासके लिए[२]
अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५२८०) से।
सौजन्य : मीराबहन
 
  1. १. पानी बरसने लगा था।
  2. २. देखिए अगला शीर्षक ।