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नीलकी प्रतिमा और अहिंसा

नाडुके सारे दौरेमें कहता रहा हूँ, उसे मैं यहाँ फिर दोहराना चाहूँगा अर्थात् यह कि हम चाहे ब्राह्मण हों या अब्राह्मण हों, अथवा कुछ भी हों, बाल-पत्नी और बाल- विधवाके सवालपर विचार करना हमारे लिए नितान्त आवश्यक है। मुझे कुछ पत्र मिले हैं, जिनमें मुझसे कहा गया है कि जहाँतक दक्षिण भारतका सम्बन्ध है, मैं बाल-विधवाओंके प्रश्नपर अपने विचारोंपर फिरसे गौर करूँ। लेकिन मुझे अपनी रायपर पुनर्विचार करनेका कोई कारण नहीं दिखाई पड़ता। मैं समझता हूँ कि हममें जो विचारवान स्त्री और पुरुष हैं, वे तबतक चैनसे नहीं बैठ सकते जबतक समाजमें हमारे लिए कलंक-स्वरूप एक भी बाल-विधवा मौजूद है। लोकमतका नेतृत्व करनेवालोंके लिए यह भी अत्यन्त जरूरी है कि वे देवदासी-जैसी घृणित और अनैतिक प्रथाको समाप्त करायें। हमें इस पापको धर्मकी आड़ देकर अपनी धार्मिक भावनाका अपमान नहीं करना चाहिए।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, ३०-९-१९२७

३७. नीलकी प्रतिमा और अहिंसा

एक गुजराती भाईने अपने मित्रको, जो मेरे भी मित्र हैं, लिखे पत्रमें निम्न प्रकारकी शंका उठाई है:

बापूकी अहिंसा तो कभी-कभी मुझे हैरानीमें डाल देती है। जिस प्रकारउन्होंने लॉरेंसकी प्रतिमा हटवानेके आन्दोलनको प्रोत्साहन दिया था उसी प्रकारअब नीलकी प्रतिमा हटवानेके लिए चलाये जा रहे आन्दोलनको वह प्रोत्साहन दे रहे हैं। मुझे तो यह बात बहुत-कुछ हिंसा-जैसी दीखती है, क्योंकि आन्दोलनसे अंग्रेजोंके प्रति घृणा उत्पन्न होगी और बापू इसी चीजसे बचना चाहते हैं। और जहाँ मुझे कोई हिंसा दिखाई नहीं देती, वहाँ वह हिंसा देखते हैं उदाहरणके लिए, शस्त्रास्त्र अधिनियमको हटवाने के लिए लोगोंका शस्त्रास्त्र लेकर चलना ।
मुझे तो लगता है कि पहले उदाहरणमें ऊपरसे अहिंसात्मक दिखनेवाले उपायसे हिंसाकी भावना भड़क उठनेकी पूरी आशंका है; और बापूके अनुसार इससे बचना चाहिए। दूसरे उदाहरणमें एक सदुद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हिंसाकी बहुत कम आशंका या सम्भावना है -- और मैं तो मानना चाहूँगा कि यही वह चीज है, जिसका खतरा उठाना बापूको पसन्द होना चाहिए।

इन भाईके तर्कके साथ न्याय किया जा सके और पाठक उसे आसानीसे समझ सकें, इसलिए मूल गुजरातीमें स्पष्ट रूपसे पेश की गई दलीलको मैंने कुछ बढ़ाकर साफ कर दिया है।

अहिंसा किंचित् दृढ़तर तत्त्वसे बनी हुई चीज है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि नीलकी प्रतिमा हटवानेके आन्दोलनसे और ऐसे ही दूसरे कार्योंसे अंग्रेजोंके प्रति