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भाषण : सार्वजनिक सभा, कराइकुडीमें

कहकर खुश होते हैं और समझते हैं कि इसमें देवता निवास करेंगे। यह जरूरी नहीं कि मन्दिर कहलानेवाली ईंट-गारेसे बनी हर इमारत मन्दिर हो, देवताका निवास स्थान हो । मुझे यह् कहते हुए दुःख होता है कि आज हमारे देशमें बहुत से ऐसे मन्दिर हैं जो -से किसी भी हालतमें वेश्यालयोंसे बेहतर नहीं हैं। क्या आप जानते हैं कि हमारे धर्ममें किसी भी स्थानको तबतक मन्दिर कहना सम्भव नहीं है जबतक कि उस भवनको पूरे विधि-विधानोंके साथ शुद्ध और पवित्र न कर लिया जाये और जबतक शुद्ध और पवित्र व्यक्तियों द्वारा उपासना और आराधना करके वहाँ ईश्वरकी प्राण-प्रतिष्ठा न कर दी गई हो। इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप अपनेको रोकें और मन्दिरोंके निर्माणपर धन न बहायें। सबसे पहले आप अपने शरीरको ही ईश्वरकी सेवामें अर्पित करें, और इसके लिए आप पहले उन बुराइयोंसे छुटकारा पाकर अपने-आपको शुद्ध और पवित्र बनायें जिनकी ओर मैंने ध्यान दिलाया है। लेकिन मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आज ही मुझे एक सुखद पत्र मिला है, जिसमें पत्रलेखकने यद्यपि यह स्वीकार किया है कि अभी मेरे द्वारा बताई अधिकांश वुराइयाँ आपके बीच मौजूद हैं, किन्तु साथ ही उसने मुझे यह भी सूचित किया है कि यहाँ अनेक चेट्टी ऐसे हैं जिनके पास न केवल स्वर्ण-धन ही है बल्कि जो गुण-घनकी भी खान हैं। इस पत्रके लेखकने लिखा है कि आपके बीच ऐसे अनेक ब्रह्मचारी हैं जो चुपचाप पवित्र धार्मिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उसने बड़ी आशा और गर्वके साथ यह भी बताया है कि कई नवयुवक जबर्दस्त कठिनाइयोंके बावजूद एक सुधार अभियान चला रहे हैं। मैं इन नवयुवकोंको विश्वास दिलाता हूँ कि सुधारके पथपर हालाँकि फूल नहीं बिछे हैं, बल्कि वह अनगिनत काँटोंसे भरा पड़ा है, फिर भी यदि वे शुद्ध और प्रार्थनामय मनसे इस कार्यमें बराबर लगे रहेंगे तो उनकी सफलता सुनिश्चित है। मुझे पता चला कि वे एक ऐसी कठिन समस्याको धीरे-धीरे हल करनेकी कोशिश कर रहे हैं जो आप सबके सामने मौजूद है। मुझे मालूम हुआ है कि आपके बीच एक कठोर प्रथा बन गई है, जिसके अनुसार बर्मा, सिंगापुर या लंका जानेवाला कोई भी चेट्टियार अपने साथ अपनी पत्नीको नहीं ले जाता । आपकी महिलाओंके विरुद्ध लगे इस कलंकपूर्ण निषेधको मैं दोहरा नुकसानदेह और बहुत बड़ा पाप मानता हूँ। जब आप अपने घरसे दूर होते हैं तब इस नियमके कारण एक तरफ तो आप ऐसे अनेक प्रलोभनोंके शिकार हो सकते हैं जिन्हें टाला जा सकता है और दूसरी ओर आपकी जीवन-संगिनी कई वर्षोंके लिए न केवल आपके संगसे वंचित हो जाती है, बल्कि सुदूर देशोंमें आपके साथ यात्रा करके अपने मानसिक क्षितिजके विस्तारके अवसरसे वंचित भी हो जाती है। अतः मैं इन नवयुवकोंके इस निस्स्वार्थ संघर्षमें शीघ्र सफल होनेकी कामना करता हूँ, और जिन वयोवृद्ध लोगोंतक मेरी आवाज पहुँच सके उनसे भी मैं आग्रह करता हूँ कि आपके बीच आवश्यक सुधार लानेकी उनकी कोशिशोंमें आप उनकी सहायता करें।

और अब चूंकि सभामें शान्ति छाई हुई है, और चूँकि चेट्टिनाडमें मेरी यह शायद अन्तिम सभा है, जिसमें मैं बोलूंगा, इसलिए मैं अपने सामने बैठी बहनोंसे भी कुछ शब्द कहना चाहूँगा। आप इतनी सारी बहनोंको इस सभामें देखकर मुझे खुशी