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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं आपसे कहूँगा कि आप अपने यहाँ स्वच्छता और सफाई तथा जल-सम्भरण व्यवस्थाकी ओर ध्यान दें। आपके तालाबोंमें शुद्ध चमकता हुआ जल नहीं, बल्कि गन्दा पानी है और सड़कें गन्दी हैं। इनके बीच आपकी अट्टालिकाओंकी शोभा मन्द पड़ जाती है। मैं आपको दिखा सकता हूँ कि आप बहुत कम खर्चसे, अपनी पूंजीसे कोई रकम निकालकर नहीं, बल्कि अपनी बचतसे ही कुछ रकम लगाकर किस प्रकार ये कार्य कर सकते हैं।

मुझे मालूम हुआ है कि आपके यहाँ विवाहकी कुछ रीतियाँ बहुत खराब है। अकसर एक वधूकी कीमत ३०,००० रुपये तक वसूल की जाती है। मुझे बताया गया है कि आप एक विवाहपर ५०,००० रुपयेतक खर्च करनेमें नहीं हिचकते । लेकिन इन प्रथाओंको मैं अनैतिक मानता हूँ। विवाह-जैसे पवित्र अनुबन्धपर किसी भी ओरसे कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती। किसी गरीब व्यक्तिके लिए भी एक गुणवती स्त्री पाना उतना ही सरल होना चाहिए जितना कि किसी धनी व्यक्तिके लिए। वैवाहिक अनुबन्धकी एकमात्र कसौटी गुण-शील और पारस्परिक प्रेम है। विवाह संस्कारपर होनेवाले खर्चोंको मैं अनैतिक तो नहीं मानता किन्तु धनकी अक्षम्य बर्बादी अवश्य मानता हूँ। कोई धनी व्यक्ति जिस तरह अपने घनका प्रदर्शन लोगोंके सामने करता है वह उसके लिए शोभनीय नहीं है। धनको उपयोगी ढंगसे खर्च करनेकी उत्तम कलाके अभावमें धन जमा करनेकी कला पतनकारी और निंद्य बन जाती है। अतः विवाह सम्बन्धी इस सुधारके जरिये, और इन समारोहोंपर व्यर्थं धन बहानेकी रीतिपर बुद्धिमानी पूर्वक अंकुश लगाने मात्रसे आप चेट्टिनाडको एक नंदनवन बना सकते हैं। अगर आप चाहें तो बिना बहुत प्रयासके ही अपने यहाँ सार्वजनिक पार्क, खेलकूदके मैदान, जल-सम्भरण आदिकी व्यवस्था कर सकते हैं। लाभदायक डेरियाँ स्थापित कर सकते हैं, जिनसे आपके बीच रहनेवाले गरीब लोगोंको सस्ता और शुद्ध दूध प्राप्त हो सकता है। शुद्ध जलके सम्भरणकी व्यवस्था करके, स्वच्छता और सफाई रखकर, तथा अमीर और गरीब, सभीको शुद्ध दूध सुलभ करानेका पक्का प्रबन्ध करके यदि आप अपने स्वास्थ्यकी रक्षा करेंगे तो मैं एक अनुभवी व्यक्तिके नाते और एक चेट्टि-बंधुके नाते आपसे कहता हूँ कि आप अपने खुदके साधनोंमें तीन गुनी वृद्धि कर लेंगे।

एक महिला डाक्टरने मुझे पत्र लिखा है कि चेट्टिनाडमें प्रचलित उस बुरी प्रथाकी ओर आपका ध्यान दिलाऊँ जो आपको सार्वजनिक उपयोगिताकी इन चीजों पर विचार करनेसे रोकती है। वे मुझे बताती हैं कि धर्मके नामपर कच्ची उम्रकी बालिकाओंको शर्मनाक जीवन बितानेके लिए अर्पित कर देनेकी वीभत्स और अनैतिक प्रथाको स्थायी बनानेमें चेट्टिनाडके धनी लोगोंका काफी हाथ है। वे मुझे बताती हैं कि आपके बीच बहुत-सी देवदासियाँ हैं। अगर यह सच है तो हमारे लिए शर्मसे गर्दन झुका लेनेकी बात है। धनवान होना पतन, बुराई और व्यभिचारिताका प्रतीक नहीं होना चाहिए। और क्या यह एक दुखद विडम्बना नहीं है कि बुराइयोंके बावजूद आप लोग ऐसे भवनोंका निर्माण करनेमें खुले हाथों पैसा खर्च करते हैं जिन्हें आप मन्दिर