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भाषण : देवकोट्टामें

जैसी ढाकाकी मलमल या खादी तैयार की थी। हमारे दुर्भाग्यसे उनकी मृत्यु हो गई, किन्तु उनके हस्तकौशलका नमूना अभी भी बंगालके खादी प्रतिष्ठानमें प्रदर्शनार्थ मौजूद है, और प्रतिष्ठानके प्रबन्धक ५००० रुपयेमें भी इस खादीको नहीं बेचेंगे । मैं मानता हूँ कि इतना मूल्य कुछ ज्यादा है या कुछ ज्यादा कहा जा सकता है, लेकिन कलाके प्रेमी, स्वदेशके प्रेमी, देशभक्तिके प्रेमी अपने प्रेमके वास्ते ज्यादा मूल्य चुकानेमें नहीं हिचकते। और इसके साथ ही जिस 'उदार प्रस्ताव' की कहानीके साथ मैंने यहाँकी कार्रवाई आरम्भ की थी, वह खतम होती है। और मेरे भाषणके अन्तमें देखा जायेगा कि जो मूल्य मैंने बताया है, उस मूल्यपर इस खूबसूरत कलाके टुकड़ेको खरीदनेवाला कोई प्रेमी है या नहीं।

हस्तकलाका एक दूसरा नमूना भी है; इसे मेरे मित्र श्रीयुत श्रीनिवास अय्यं गारने भेंट किया है। यह खादीका टुकड़ा पहलेवाले खादीके टुकड़े जैसा बढ़िया और बारीक तो नहीं है, फिर भी मेरे पहनने लायक नहीं है। अगर आप इसके लिए भी अधिक मूल्य देनेको तैयार हों तो मुझसे सौदा कर सकते हैं, लेकिन मैं अपनी ओरसे इसकी कोई कीमत निर्धारित नहीं करूंगा क्योंकि ऐसा करना आपके प्रेमपर बहुत ज्यादा दबाव डालना होगा। यह एक उत्तरीय (स्कार्फ) है, और पेरिसके किसी भी रेशमी कपड़ेसे निश्चय ही कहीं ज्यादा अच्छा है। इन दो कलात्मक वस्तुओंकी तारीफ करनेमें आपका इतना वक्त लेनेके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे। लेकिन इससे आप यह भी देख सकते हैं कि मैं किस तरह खादीका दीवाना हूँ। जब मैं खादीकी चर्चा करने लगता हूँ, उस समय अगर मेरे सामने धैर्यसे सुननेवाले श्रोता हों तो मैं लगातार बोलता रह सकता हूँ । कारण मैं जनता हूँ कि हमारे सात लाख गाँवोंमें रहने वाले क्षुधापीड़ित भाई-बहनोंकी आर्थिक मुक्ति खादीमें ही निहित है। मैं चाहता हूँ कि आप भी मेरी तरह ही ऐसा सोचें कि जबतक भारतमें एक भी स्त्री या पुरुष ऐसा है जो काम न होनेके कारण भूखा रहता है तबतक मेरी ही तरह आपके लिए भी यह जिन्दगी बोझ-स्वरूप है। मैं चेट्टिनाडमें ये बहुमूल्य दिन इस बड़ी उम्मीदमें गुजार रहा हूँ कि मैं दरिद्रनारायणके प्रति आपकी उच्चतम उदार भावनाको जाग्रत कर सकूँगा। इसलिए आप मुझे कमसे कम नहीं बल्कि आपके पास ज्यादासे-ज्यादा जो है, वह दीजिए।

और अधिकसे-अधिक आर्थिक सहायता देकर भी आप अपने और लाखों भूखग्रस्त लोगोंके बीच एक जीवन्त सम्बन्ध तबतक स्थापित नहीं कर सकते जबतक कि आप खादीको अपना न लें। आपने अपनी आँखोंसे देखा है कि इसी स्थानपर आपको अपनी रुचिकी बढ़िया बारीक खादी मिल सकती है। इन दो सज्जनोंने जैसा माल तैयार किया है, वैसा ही कोशिश करनेपर और लोग भी तैयार कर सकते हैं, और इसलिए मैं आप जवान और बूढ़े, स्त्री और पुरुष, लड़के और लड़कियाँ, सभीसे आशा करता कि आप एक पवित्र संकल्प करेंगे कि आप आजसे कोई विदेशी वस्त्र नहीं खरीदेंगे और आप केवल हाथ-कती और हाथ-बुनी खादी ही खरीदेंगे। इतनी बात तो हुई खद्दरके बारेमें।