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भाषण : स्त्रियोंकी सभा, कराइकुडीमें

मजदूरीके ऐसे कामको स्वीकार कर लिया जिसे आप स्वीकार नहीं करेंगी। अब आपने यह धन हमारे अपने पापोंके प्रायश्चित्त-स्वरूप दिया है। लेकिन यदि आप स्वयं खद्दर नहीं पहनेंगी तो यह धन बिलकुल बेकार है। इसलिए मैं आपसे अपने धर्मका विचार करनेको कहता हूँ, और कहता हूँ कि आप एक पवित्र संकल्प करें कि इन गरीब बहनोंकी खातिर अब आगेसे खादीके सिवा आप और कुछ नहीं पहनेंगी। लेकिन इन ग्रामवासियोंके पवित्र हाथों द्वारा काता और बुना कपड़ा पहनना ही काफी नहीं है। खादीको इससे अधिककी जरूरत है। यदि आप इस खादीके जरिये सच्चे हृदय से इन गरीब बह्नोंका विचार करेंगी, तो खादी केवल आपके बाह्य परिवर्तनका प्रतीक ही नहीं होगी, आपका सम्पूर्ण हृदय बदल जायेगा। यदि आप वैसा करेंगी तो आप सती और सीताके युगको पुनरुज्जीवित कर देंगी। मैं ईश्वरसे निरन्तर प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको उन जैसा ही बना दे। लेकिन हमारी मर्जीके खिलाफ ईश्वर भी हमें वह नहीं बना सकता जो हमें होना चाहिए। ईश्वर केवल उन्हींको सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करनेको तैयार हो। आपके सीता जैसी बननेकी इच्छा करनेकी देर है; वह आपको वैसा बना देगा। लेकिन आप वैसा चाहती नहीं हैं क्योंकि आप सचमुच मानती हैं कि कुछ ऐसे लोग हैं जो आप तकके लिए अस्पृश्य है। सीता ऐसा नहीं करती थीं। इसके विपरीत, वह उन्हें निषाद मानती थीं जिन्हें आज हम अज्ञानवश अस्पृश्य समझते हैं। किन्तु यदि आप खादी पहनेंगी और खादी की भावना रखेंगी तो केवल इस कारण आप किसीको अस्पृश्य नहीं मानेंगी कि उसका जन्म किसी वातावरण विशेषमें हुआ ।

अब शायद आप यह भी समझ सकेंगी कि मैं ऐसा क्यों मानता हूँ कि चेट्टिनाडकी धनी महिलाओंने दरिद्रनारायणके लिए पर्याप्त धन नहीं दिया है। मुझे आप जैसी बहनोंसे न केवल वह धन माँगने में कोई हिचक नहीं है जो वास्तवमें आपको अपने माता-पितासे और पतिसे प्राप्त हुआ है, बल्कि मैं आपसे स्त्रीधन भी, अर्थात् आपके गहने भी देनेको कहता हूँ। और मैं यह इस शर्तपर माँगता हूँ कि बहनें अपने गहने देने के बाद उनकी जगह दूसरे गहने बनवानेको नहीं कहेंगी। स्त्रीका सच्चा सौन्दर्य उसकी साड़ी, उसके हीरे-मोती या उसके स्वर्णाभूषणोंमें नहीं है। स्त्रीका सच्चा सौन्दर्य शुद्ध हृदय रखनेमें है। ईश्वर आपको वैसा हृदय दे।

[ अंग्रेजी से
हिन्दू, २६-९-१९२७